02 नवंबर रविवार को ही होगा तुलसी विवाह,किसी भ्रम में न पड़ें- आचार्य धीरज “याज्ञिक”
आचार्य धीरज "याज्ञिक"

कुछ लोगों के मैसेज और फोन आ रहे कि 02 नवंबर को रविवार है इस दिन तुलसी नहीं तोड़ना चाहिए इसलिए तुलसी कैसे छुएं,कैसे विवाह करें।
आप सभी ध्यान से पढ़ें और समझें –
1- शास्त्रों में लिखा है कि-
“शालग्रामशिलार्चार्थं प्रत्यहं तुलसीक्षितौ।
तुलसीं ये विचिन्वन्ति धन्यास्ते करपल्लवा:।।
सङ्क्रान्त्यादौ निषिद्धेऽपि तुलस्यवचय: स्मृत:”।।
(आह्निकसूत्रावली)
आह्निकसूत्रावली में स्पष्ट लिखा है कि बिना तुलसी के श्रीशालग्राम की पूजा पूर्ण नहीं होती अतः निषिद्ध तिथियों,निषिद्ध पर्वों,निषिद्ध दिनों में भी भगवान शालग्राम के लिए तुलसी पत्र ग्रहण करना चाहिए।
तो जब भगवान के लिए निषिद्ध काल में भी तुलसीदल ग्रहण करने को कहा गया है तो विवाह क्यों नहीं हो सकता।
2 – शास्त्रों का आदेश है कि किसी विशेष पर्व,त्योहार आदि में विधि निषेध आदि का कोई भाव नहीं रखना चाहिए क्योंकि पर्व,त्योहार आदि वर्ष में एक बार ही आता है तथा इन पर्वों त्योहारों में माह एवं तिथियों का संयोग ही सर्वमान्य होता है।
3 – ऐसे में उपरोक्त बातों को स्वयं से विचार करें कि हम तुलसी पत्र तोड़ नहीं रहें जबकि भगवान शालिग्राम (विष्णु जी) के लिए निषिद्ध काल में भी तुलसी ग्रहण करने की शास्त्राज्ञा है,हम मात्र माह और तिथि के उत्तम संयोग में तुलसी महारानी का भगवान शालग्राम जी से विवाह करेंगे और उनका पूजन करेंगे।
समस्त सर्वमान्य पञ्चांङ्गों में 02 नवंबर रविवार को ही तुलसी विवाह के लिए लिखा गया है।
अतः आप सभी सनातनी धर्मज्ञ महानुभाव 02 नवंबर रविवार को ही विधि विधान से उत्साह पूर्वक तुलसी विवाह का पावन पर्व मनाएं और भगवान श्री शालिग्राम तथा श्री तुलसी महारानी का विवाहोत्सव मनाएं।
।। आचार्य धीरज द्विवेदी “याज्ञिक” ।।



