साहित्य

दाता यह वर दीजिए

डॉ ऋतु पाण्डेय "त्रिधा"

दाता यह वर दीजिए,बसें चेतना आप।
शरण गहूं श्री राधिका,कट जाएं सब पाप।।

खोजूं कुंजन की गली,लेकर हरि का नाम ।
कब आओगे मोहना,ले चल अपने धाम।।

कलुषित मन के जन यहां, भरा कंलक विचार।
सांस निर्मल रही नहीं, ले चल अब करतार।।

घर घर बैठी शुपनखा, बसें दुशासन कोर ।
तुझ सा पावन कुछ नहीं , कीचड़ है हर ओर।।

चलो सभी ले याचिका, सब नन्दन के पास ।
शीश कलियुग नही चढ़े, लगी कृपा की आस।।

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