आज श्रद्धालु तामसा के संगम मे लगाएंगे आस्था की डुबकी बटोर में मेला क्षेत्र में बड़ी संख्या में पहुंचे स्नानार्थी

अहरौला। क्षेत्र के दुर्वासा धाम में लगने वाल तीन दिवसीय कार्तिक पूर्णिमा के मेले में को होने वाले कार्तिक पूर्णिमा तमसा मंजूषा के संगम में श्रद्धालू आस्था की डुबकी लगाने के लिए मंगलवार बटोर के दिन अपने-अपने साधनों के माध्यम से शाम तक मेरा मेला क्षेत्र में डेरा डाल दिए जिससे पूरा मेरा क्षेत्र श्रद्धालुओं की भारी भीड़ से भर गया मेला क्षेत्र के चार प्रवेश द्वारों को पुलिस के द्वारा बैटिंग लगाकर बड़े वाहनों के आवागमन को रोक दिया गया था मेला क्षेत्र में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए है। पीएससी, पुलिस जवानों के सहित फायर ब्रिगेड सुलभ शौचालय शुद्ध पेयजल टैंकर पानी की उपलब्धता रहेगी वहीं नदी के संगम में स्नान के लिए नदी के पुल तक रस्सी बांधी गई है जिससे कोई श्रद्धालु के साथ स्नान करते समय आकस्मिक घटना से निपटने के लिए पांच गोताखोरों को भी लगाया गया है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार ऋषि अत्रि और अनसूईया के बड़े पुत्र शिव के अंशावतार ऋषि दुर्वासा जो अपने क्रोध के लिए विख्यात थे ऋषि अत्रि और मां अनसूईया से तपस्या करने योग स्थान के बारे में पूछा तो माता अनसूईया ने दुर्वासा को यह बताया काशी और अयोध्या के बीच तमसा मंजूषा संगम तट स्थान तपस्या की दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है माता के इस सुझाव पर ऋषि दुर्वासा अपने 88000 ऋषियों के साथ तामसा मंजूसा संगम तट को तट को तपोस्थल बनाया फिर यह पूरा धाम दुर्वासा के धाम से जाना जाने लगा। तपस्या मे लीन ऋषि दुर्वासा स्वयंभू शिवलिंग में समाधिस्त हो गए हो गए। तमसा मंजूषा के संगम तक पर शिव का गर्भ गृह जहां शिवलिंग दो भागों में बटा है और यहां लोग मनोकामनाएं पूर्ति की मानौती भी मानते हैं।
कार्तिक पूर्णिमा के स्नान के बाद पंचकोसी परिक्रमा का है विशेष महत्व वही कार्तिक पूर्णिमा में तमसा मंजूषा के संगम तट में स्नान के बाद मान्यता है की पांच कोस में पढ़ने वाले गांव में पंचकोसी परिक्रमा होती है। जिससे स्नान का पूर्ण दोगुना हो जाता है संगम मे स्नान के बाद पंचकोसी परिक्रमा भी करते हैं पंचकोसी परिक्रमा के अंतर्गत शंभूपुर, गौरीपूरा, कल्होरा धाम, फूलपुर, फुलवरिया, दुबावे , पुरादुबे , गजडी आदि गांव के नाम जुड़े हुए हैं।।