
सत्य सनातन धर्म युगों से
युग युग चलता जाएगा
जो अनंत इस पृथ्वी पर,
वह अंत नहीं हो पाएगा
जात पात का भेद नहीं
बस एक ही धर्म हमारा है
जो समझा है सत्य सनातन
इंसान वही कहलाएगा।
जागो मानव जागो प्यारे
हिंदुस्तान हमारा है
सबका एक ही है रखवाला
फिर काहें बंटवारा है।
हिंसा देख हृदय पीड़ित है
क्या तू धरती का मानव है
मृत्यु तुम्हारी अटल सत्य है
ये कैसे झुठलाएगा।
दिल्ली से वृंदावन के पथ
बागेश्वर जी अथक चल रहे
नंगे पग के छाले फूटे
लक्ष्य यही एकता मिले
हनुमत के प्यारे बागेश्वर
राम हृदय में लिए बढ़ रहे
धर्म एक है यदि तुम माने
जीवन तीरथ हो जाएगा।
राम कृष्ण की धरती पर
पापी ना टिकने पाएगा
भ्रम छोड़ो सब कुछ है तेरा
तू कुछ न लेकर जाएगा।
दिल्ली में जो कांड किए हो
खुद को ही तुम मौत दिए हो
मानव का तन पाकर भी तुम
राक्षस ही कहलाओगे।
किस बदले की मौत मर रहे
ईश्वर को क्या बतलाओगे
मानव तन का समझ नहीं है
क्या फिर तू जीवन पाएगा।।
प्रज्ञा तिवारी




