अंतर्राष्ट्रीयआलेखधर्म/आध्यात्मयूपीराष्ट्रीयसाहित्य

सनातन धर्म एवं संस्कृति का संरक्षक एवं उत्थान कारक होता है गुरुकुल-आचार्य धीरज “याज्ञिक”

गुरुकुल में अध्ययन करने वाले ही सनातन संस्कृति की धरोहर हैं

क्या आपको पता है कि वह संस्कृत के विद्वान जो हमें वेद,पुराण आदि शास्त्रों का ज्ञान कराते हैं,जो हमारे घरों में पूजा-पाठ के माध्यम से आध्यात्मिक वातावरण रचते हैं,जो हमारी कुण्डलियाँ देखकर जीवन की दशा दिशा बताते हैं,जो समाज में दार्शनिक विचारों के माध्यम से अखण्डता का संचार करते हैं,वह कहाॅं तैयार होते हैं?
क्या आपने कभी सोचा है कि जो हमारी हजारों वर्षों पुरानी परम्परा को जीवित रखने में अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर रहे एवं कर देते हैं,जो हमें उस इतिहास से जोड़ते हैं जिस पर गर्व किया जाता है,जो हिन्दू धर्म की प्रामाणिक जानकारियों को जन-जन तक पहुँचाते हैं,जो राष्ट्र के प्रति समर्पण और सेवा की भावना का बीज समाज में बोते हैं,जो संस्कार, शिष्टाचार और नैतिकता से ओत-प्रोत व्यक्तित्वों का निर्माण करते हैं,और जो बड़े से बड़े संत,आचार्य और कथावाचक बनते हैं तथा समाज को एक दिशा देने का कार्य करते हैं वह कैसे तैयार होते हैं? उनका स्रोत,उनकी साधना,उनकी शिक्षा कहाॅं से आरम्भ होती है?
इन सभी प्रश्नों का उत्तर आप सबको मिलेगा प्रयागराज की पावन स्थली फूलपुर एवं प्रतापपुर के मध्य स्थित श्री बज्रांग आश्रम देवली में संचालित गुरुकुल एवं संस्कृत विद्यालय जहां आप संस्कृत विद्या के वास्तविक साधकों को अपनी आंखों से देख सकते हैं,उनकी वाणी सुन सकते हैं,और उनकी तपस्या की झलक अनुभव कर सकते हैं और अनुभव कर सकते हैं अखण्ड परम्परा के स्पंदन का साक्षात्कार जो सनातन संस्कृति एवं उसकी आत्मा को धारण किए हुए हैं।
एक बार सपरिवार अवश्य आएं और अपने संतति को भी इस वातावरण का लाभ दिलाएं।
आचार्य धीरज “याज्ञिक”
(गुरुकुल संचालक)
9956629515
8318757871

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!