आलेख

दशहरा:शक्ति,शौर्य और सत्य की विजय का प्रतीक

कुमुद रंजन सिंह

दशहरा, जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय संस्कृति का एक ऐसा देदीप्यमान पर्व है जो शक्ति, शौर्य और असत्य पर सत्य की चिरंतन विजय का उद्घोष करता है। यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि राष्ट्र की वीरता, उल्लास और सांस्कृतिक विविधता का महापर्व है, जो अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को पूरे भारतवर्ष में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

दशहरा का महत्व

दशहरा पर्व दो महान ऐतिहासिक और पौराणिक घटनाओं के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है: पहला, भगवान राम द्वारा लंकापति रावण का वध, और दूसरा, देवी दुर्गा द्वारा दुष्ट दैत्य संस्कृति का पोषक दैत्यराज महिषासुर का संहार। दोनों ही कथाएं हमें यह सिखाती हैं कि धर्म और न्याय की स्थापना के लिए बुराई का दमन अनिवार्य है।

दशहरा के दौरान की जाने वाली गतिविधियाँ

दशहरा के दौरान विभिन्न गतिविधियाँ की जाती हैं, जैसे कि:

– *रामलीला का आयोजन*: रामलीला एक पारंपरिक नाटक है जिसमें भगवान राम के जीवन और उनके रावण पर विजय की कहानी को दर्शाया जाता है।

– *रावण दहन*: रावण दहन एक प्रतीकात्मक गतिविधि है जिसमें रावण के पुतले को जलाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।

– *दुर्गा पूजा*: दुर्गा पूजा एक पारंपरिक पूजा है जिसमें देवी दुर्गा की पूजा की जाती है, जो शक्ति और साहस की प्रतीक हैं।

दशहरा का सांस्कृतिक महत्व

दशहरा भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण पर्व है जो शक्ति, शौर्य और सत्य की विजय का प्रतीक है। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि बुराई पर अच्छाई की विजय निश्चित है, और हमें अपने जीवन में सत्य और न्याय के मार्ग पर चलने का प्रयास करना चाहिए।

दशहरा और आंतरिक शत्रु

दशहरा हमें अपने आंतरिक शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने की प्रेरणा देता है, जैसे कि काम, क्रोध, घमंड, लोभ, ईर्ष्या, मोह, हिंसा, असत्य, आलस्य और चोरी। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि हमें अपनी इच्छाओं को नियंत्रित करना चाहिए, न कि उनके द्वारा नियंत्रित होना चाहिए।

निष्कर्ष

दशहरा एक ऐसा पर्व है जो हमें शक्ति, शौर्य और सत्य की विजय का महत्व सिखाता है। यह पर्व हमें यह याद दिलाता है कि बुराई पर अच्छाई की विजय निश्चित है, और हमें अपने जीवन में सत्य और न्याय के मार्ग पर चलने का प्रयास करना चाहिए।

लेखक परिचय

कुमुद रंजन सिंह एक प्रख्यात सामाजिक चिंतक, विचारक, पत्रकार और अधिवक्ता हैं। उन्होंने विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर लेखन और शोध कार्य किया है। उनके लेख विभिन्न पत्रिकाओं और अखबारों में प्रकाशित होते रहते हैं।

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