
वें आजादी के थे दीवाने,
सारी दुनिया उनको जाने।
दिल में बस उनके आग थी,
आजाद कराने की बात थी,
सारा जगत उनको ही माने।
वें खून से लिख गए कहानी,
अमर हो गयी उनकी जवानी,
कवि भी लिखते उनके गाने।
हंसते-हंसते शूली पर चढ़ गए,
वें आखरी सांस तक लड़ते रहे,
मुक्ति की बात मन में बस ठाने।
सीने पर अपने खायी गोलियां,
चैन की नसीब नहीं हुई रोटियां,
वें ही है भारत की सच्ची संतानें।
धरा पर अमर रहेंगी उनकी गाथा,
सदा रखेंगे उनके चरणों में माथा,
दुश्मन के आगे रहें बनकर चट्टानें।
स्वरचित और लिखित गीत
सर्वाधिकार सुरक्षित
सुनील कुमार “खुराना”
नकुड़ सहारनपुर
उत्तर प्रदेश भारत



