
कार्तिक माह की कृष्ण अष्टमी, शुभ दिन यह आया।
अहोई माता पूजित होती, मंगल बरसाया।।
संतान हेतु मातु निराहार, व्रत रखती प्यारी।
तारों की अरती कर करती, पूजा सुखकारी।।
प्राचीन कथा प्रसिद्ध पुरानी, लोक सुहानी।
सातों भाभी संग नन्द गईं, लेने मिट्टानी।।
खोदन करते नन्द अचानक, सेई पर आई।
बालक घायल देख व्यथित हो, रोती घबराई।।
सेई बोली शाप दिया फिर, बेटी विहनी हो।
भाभी सब चिंतित मन रोईं, व्यथा कहनी हो।।
स्याऊ माता का व्रत सबने, श्रद्धा से धारा।
माता हुईं प्रसन्न कृपा कर, दुख सबका हारा।।
जीवित हुए पुनः वे बालक, हर्ष उमंगा।
बेटा बेटी संग आशीषों, छाया का रंगा।।
माता अहोई व्रत करतीं जो, सुत के हित प्यारी।
लंबी आयु, सुखी परिवार, मंगल उजियारी।।
डाॅ सुमन मेहरोत्रा
मुजफ्फरपुर, बिहार



