
अंतर्राष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस पर विशेष कविता
गांव की अद्भुत
ऊर्जा और ताकत समेटे, कर्मशील
ग्रामीण महिलाओं को
सत् सत् प्रणाम करता हूं
सचमुच वंदनीय है
उनकी अद्भुत बेहद सार्थक
परिश्रम और सहज सरल
सादगी लिए
सदा ही पति संग कंधा मिला कर
खेत और खलियान में लगी हुई
सदा ही प्रसन्न और खुश रह कर
जीती हुई सम्पूर्ण
मानव जाति के लिए सचमुच प्रेरणा स्त्रोत है और ऊर्जा प्रदान करती
प्रणाम करता हूं
ग्रामीण महिला दिवस पर
उनके प्रेरणा स्त्रोत
व्यक्तिव को, कमाल की ऊर्जा
और परिश्रम को
अल्प सुख सुकून में
बेहद प्रसन्न हो सदा ही
खुश रह कर
जीने वाली अज्ञानी
पर अद्भुत, अनुभव लिए
कितने ही ज्ञान को, शिक्षा को
देती हुई
सदा ही मस्त हो जीते
जैसे जानती है
सदा ही प्रसन्न हो जीना ही
ईश्वर की सबसे बड़ी साधना है
डॉ रामशंकर चंचल
झाबुआ मध्य प्रदेश



