
साहित्य की दुनिया में हर नई कृति अपने साथ ताज़गी, आशा और नए आयाम लेकर आती है। आदरणीय @
#कमलेश_ढींगरा जी का प्रथम काव्य संग्रह “अनुभूति के रंग” इसी परंपरा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। पेशे से हिंदी अध्यापक होते हुए भी आपने जिस गहनता और आत्मीयता के साथ शब्दों को साधा है, वह पाठकों को भीतर तक छू लेता है।

यह संग्रह केवल कविताओं का संकलन नहीं, बल्कि जीवन की उन भावनाओं का आईना है जिनसे हर मनुष्य गुजरता है—व्यथा, संघर्ष, मौन, आशा, अहंकार, जिजीविषा और अध्यात्म। हर कविता मानो संवेदनाओं की सरिता हो जो हृदय की धरती को सींचती है।
“तख्ती” में बचपन की स्मृतियों का सजीव आह्वान है,
“मौन की ओर” में आत्मनिरीक्षण की गहराई है,
“क्योंकि मैं अहंकार हूँ” में मनोविज्ञान का गूढ़ संकेत है,
“शिशिर की विभीषिका” जीवन के कठोर यथार्थ का चित्रण है,
तो वहीं “दीप का संघर्ष” हर अंधकार से जूझते आशा और प्रकाश का प्रतीक बनकर उभरता है।
ऐसी कविताएँ पाठक को केवल पढ़ने का आनंद नहीं देतीं, बल्कि भीतर एक कंपन जगाती हैं—सोचने, रुकने और स्वयं से मिलने की प्रेरणा देती हैं। यही किसी सफल काव्य का प्रमाण है।
कमलेश जी का यह संग्रह उन सभी के लिए अनिवार्य है जो शब्दों के माध्यम से जीवन का स्वाद लेना चाहते हैं। यहाँ न कोई दुरूहता है, न कृत्रिमता—केवल सहज, सरल, किन्तु गहन शब्दों की बुनावट है जो सीधे हृदय में उतर जाती है।
“अनुभूति के रंग” वास्तव में साहित्य प्रेमियों के लिए एक साहित्यिक प्रसाद है। यह संग्रह भावनाओं का एक ऐसा गुलदस्ता है जिसमें हर पाठक अपनी संवेदना का कोई न कोई रंग अवश्य पाएगा।
मैं हृदय से कामना करता हूँ कि यह काव्य संग्रह पाठकों के बीच लोकप्रियता अर्जित करे और कमलेश ढींगरा जी की यह प्रथम प्रस्तुति साहित्यिक आकाश में एक उज्ज्वल नक्षत्र की भाँति चमके।
भावों का दर्पण की ओर से
ललित कुमार सक्सैना ‘राही’
साहित्य की इस पावन यात्रा हेतु हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ।
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