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अपने लिए अपनों के लिए मुस्कुराना सीख लीजिए।
हर बड़े छोटे को भी लिहाज दिखाना सीख लीजिए।।
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सहयोग और अपनापन तो परिवार अमृत समान है।
यदि बहती स्नेह प्रेम की धारा तो परिवार गुणवान है।।
मधुर वाणी से अपनी बगिया महकाना सीख लीजिए।
अपने लिए अपनों के लिए मुस्कुराना सीख लीजिए।।
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हर क्षण को आनंद का हर पल बना सकते हैं आप।
मिलकर रहें खुशियों भराआज कल बना सकते हैं आप।।
अतीत की पीड़ा को जरा आप भूल जाना सीख लीजिए।
अपने लिए अपनों के लिए मुस्कुराना सीख लीजिए।।
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थोड़ा सुनना थोड़ा कहना आदर का भाव जरूरी है।
क्यों नहीं हंसना परिवार के साथ ऐसी क्या मजबूरी है।।
अपने हाथों से ही परिवार को स्वर्ग बनाना सीख लीजिए।
अपने लिए अपनों के लिए मुस्कुराना सीख लीजिए।।
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रचयिता।।एस के कपूर “श्री हंस”
बरेली।।
