साहित्य

बाल कविता

गोवर्धनसिंह फ़ौदार 'सच्चिदानन्द

फूलों का हम बगिया प्यारा,
चम्पा-चमेली गुलाब हम।
देखे जो भी हमें सराहे,
साथी लाजवाब हैं हम।।

लक्ष्मी बोले हमको मैया,
भैया को कन्हैया।
परिवार के सबको भाये,
रानी, राजा कहे बपैया।।
लाज हमें हैं उनकी रखना,
तिरस्कार नहीं कभी करना।
सफल भाग्य है उनसे हमारा,
उनके सुनहरे ख्बाब हैं हम…
फूलों का हम बगिया…. ।।

प्यारी खुशबू से नित हम,
बगिया से घर को महकाये।
गुनगुन, भुनभुन करते रहते,
भँवरे भाँति सबको लुभाये।।
परिवार की लोरी हैं हम,
हम हैं प्यारी कहानियाँ।
पढ़ते सबको सब हमें पढ़ते,
आनन्दमयी किताब हैं हम…..
फूलों का हम बगिया…… ।

सताये जब भी परिवार को,
दादी – दादा हमें बचाये।
सिखाये हमको चलना-फिरना,
पाठ मीठे सदा पढ़ाये।।
खेल खिलोने हैं हम उनके,
अपने वे संसार है।
एक दूजे के सहारे बनते,
सुख का मानो तालाब हैं हम…
फूलों का हम बगिया ….. ।।

(गोवर्धनसिंह फ़ौदार ‘सच्चिदानन्द)
पता :मोरिश्यस।

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