साहित्य

बाल्मीकि और रामकथा

कुलदीप सिंह रुहेला

#वनों में तपस्वी, मौन में मग्न हैं
हृदय में धधकती करुणा अनन्त है
पक्षी की व्यथा ने दी है आवाज़,
जागा जीवन में रामकथा का मधुर राग।

शब्द बने गीत, और अमर प्यारे,
हर पंक्ति में बहे प्रेम के सहारे।
सीता की मर्यादा, और राम का त्याग,
भाई का स्नेह, विभीषण का मधुर राग।

रावण का अहंकार, और हनुमान का बल,
सत्य और धर्म की अनमोल मिसाल।
वनवास की पीड़ा, युद्ध की गूँज,
हर छंद में प्रेम, भक्ति और धीरज का संचार।

बाल्मीकि ने साधुता का नया दीप जलाया,
मनुष्य को जीवन का मार्ग दिखलाया।
अश्रु बने उनके छंद की मधुर तान,
अमर हुई रामकथा का महान गान।

हनुमान की भक्ति, लक्ष्मण का प्यार,
राम के आदर्श बने सबके आधार।
धर्म का प्रकाश, सत्य का दीप,
रामचरित्र गूंजे हर जीवित रीत।

श्रीराम के गुणगान से हृदय हुआ उजियारा,
सीता-स्नेह और भाई-बंधु का प्यारा सारा।
बाल्मीकि जी की वाणी अमर रहे सदा,
जग में गूँजती रहे रामकथा का गहन गान।

आओ गाएं भक्ति के मधुर स्वर,
रामकथा से भर जाए जीवन का हर दर।
बाल्मीकि जी का गुणगान रहे अनंत,
सत्य, प्रेम और धर्म का बने महान संदेश।

कुलदीप सिंह रुहेला
सहारनपुर उत्तर प्रदेश

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