
भैया दूज पर मैंने यमराज को
बधाइयां शुभकामनाएं देने के लिए फोन लगाया,
और बड़े प्यार से फ़रमाया
कि आज तो तेरे जलवे हैं
क्योंकि आज तो तेरे पूजन अर्चन के दिन हैं।
आज तो तुझसे कोई नहीं डरेगा,
तुझे पूजेगा और अपने स्वार्थ में
तुझसे दीर्घायु जीवन की फरियाद करेगा,
धूप-दीप आरती संग मेवा मिष्ठान अर्पित करेगा।
बहनें भाईयों की लंबी उम्र के साथ
धन धान्य की तुझसे गुहार करेंगी,
पर सचेत रहना प्यारे तुझे पकवान तो नहीं खिलायेंगी?
मगर कोई बात नहीं, तू चिंता मत कर
आज के दिन मुझे भी अपने साथ लेकर विचरण कर
कम से कम मैं ही कुछ लाभ उठा लूँगा
तेरे लिए सिफारिश कर बंधवा लूँगा।
यमराज ने धन्यवाद के साथ कहा
यार! क्या अब तू भी मेरा मजाक उड़ायेगा?
और मुझे ही नमक का घोल पिलायेगा।
यह कलयुग है मित्र – स्वार्थ के बिना कुछ भी नहीं होता,
बिना स्वार्थ कोई जले पर नमक भी नहीं छिड़कता।
यमुना को वर देकर अब पछता रहा हूँ,
बहन का मामला है, वापस भी नहीं ले पा रहा हूँ।
लेकिन यह भी सच है कि अब मैं थक गया हूँ,
भाई-भाई ने रहा, तो बहनों के भी भाव भी निराले हैं,
ऊपर से जितने उजले, भीतर से उतने ही काले हैं
अब तू कहेगा ऐसा कुछ नहीं है
मैं भी कल तक ऐसा ही सोचता था,
पर अब समझ आया कि अपवादों का
कलयुग में कोई मतलब ही नहीं होता।
हर रिश्ते की तरह इस रिश्ते में भी अब वो भाव नहीं रहा,
भाई हो या बहन, दोनों को एक दूजे का घाव भी
एक दूजे को बिल्कुल नहीं दिख रहा।
वो खुश रहे, नाखुश रहे उनकी बला से
भाई दूज पर भी हँसी-खुशी मिलने की कोई ललक नहीं।
अब तो सिर्फ औपचारिकताएं निभाई जा रही हैं,
अपने अपने स्वार्थ की आड़ पैबंद लगाई जा रही है।
मेरा मुँह मत खुलवा, क्योकि सच तू भी नहीं सुन पाएगा
और कल से मेरे तिरस्कार का अभियान भी
सबसे पहले तू ही चलाएगा,
वैसे भी मैं तो पहले से ही बदनाम हूँ,
पर क्या तू सच का सामना कर हौसले से कर पाएगा?
यमुना की तरह अपनी बहन का मान रख पाएगा?
मुझे पता है तू निश्चित ही पीछे हट जाएगा ।
क्योंकि तू यमराज की जगह खुद को
कभी रखना ही नहीं चाहेगा।
तब तू ही बता मुझे मेरे यार
कि आज की यमुना के भीतर छिपे डर को
भला मिटाने का बीड़ा तब कौन उठायेगा?
कलयुग का यमराज बनने क्या तू आएगा?
ऐसा कुछ भी नहीं होगा मित्र
हम-तुम लाख कोशिश कर लें,
पर कुछ भी नहीं हो पाएगा।
क्योंकि कलयुग तो अपना ही रंग दिखाएगा
यमराज सदा से बदनाम था, आगे भी रहेगा
वो जिसका वास्तव में हकदार है, कभी नहीं पायेगा।
यमुना को दिए वचन से बँधा आज यमराज भी
सिर्फ अपने कर्तव्य की औपचारिकता निभाएगा
बदले में रोटी तो नहीं, गालियाँ जरुर खाएगा,
विवशताओं की आड़ में जबरन मुस्कराएगा
भाई दूज के पावन पर्व पर
किसी तरह औपचारिकतावश ही सही
अपना कर्तव्य तो पूरी जिम्मेदारी से निभाएगा।
सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश



