साहित्य

छठ गीत – छठ हम करऽतानी

विद्या शंकर विद्यार्थी

तोहरे दरदिया हम झेलीं पिया,
झठ में अकेली पिया,
अरघ हम देलीं पिया,,,,,।
घरवा से कहीके गइलऽ छठिया में आइब
लोरवा बहइहऽ जन हो अरगिया दिआइब
आस हम तोहार धर लेलीं पिया,,,,,छठ में,,,।
गड़िया में भीड़िया के कइलऽ ना सामना
तबो छठ हम करऽतानी पूरे मनोकामना
नरियर मंगइनी गुर के भेली पिया,,,,,छठ में,,,,।
कब ई पलायन रूकी मिली काम बिहार में
टरी ई अन्हरिया कि जीअब संँ उजियार में
कब ले सियासत खेल खेली पिया,,,छठ में,,,,।
छठी माई बुझस दुख दरदिया के टारस
पसरल अंचरिया में खुशिया के हो डारस
माईए पर सब हम छोड़ देलीं पिया,,,,छठ में,,,,।

विद्या शंकर विद्यार्थी रामगढ़, झारखंड

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