छठी मईया की भक्ति को समर्पित रही कल्पकथा काव्य संध्या
हमारे त्यौहार सामाजिक एकता और सद्भाव के सूत्र हैं - कल्पकथा परिवार

प्रभु श्री राधा गोपीनाथ जी महाराज की कृपा से संचालित राष्ट्र प्रथम, हिन्दी भाषा, सनातन संस्कृति, एवं सद साहित्य हेतु कृत संकल्पित कल्पकथा साहित्य संस्था परिवार की संवाद प्रभारी ज्योति राघव सिंह ने बताया कि लोक आस्था के मंगल उत्सव छठ महापर्व विशेष २२०वीं काव्य संध्या छठी मईया की भक्ति आराधना को समर्पित रही।
कोंच जालौन उत्तर प्रदेश के राष्ट्रीय ओज एवं आशुकवि भास्कर सिंह माणिक के मंच संचालन के कार्यक्रम का शुभारंभ नागपुर महाराष्ट्र के विद्वान साहित्यकार विजय रघुनाथराव डांगे जी द्वारा संगीतमय गुरु वंदना, गणेश वंदना, एवं सरस्वती वंदना के साथ हुआ।
रायपुर छत्तीसगढ़ से जुड़े प्रबुद्ध साहित्यकार प्रमोद पटले ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की जबकि प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश की वरिष्ठ सृजनकार किरण अग्रवाल ने मुख्य अतिथि का पदभार संभाला।
देश भर से जुड़े विद्वान साहित्य मनीषियों के इस आयोजन में छठ महापर्व के विधान, व्रती महिलाओं के तप त्याग, नैसर्गिक प्राकृतिक सुषमा, पर्यावरण संरक्षण, और भावों में पिरोई गई आत्मिक सौंदर्य की अभिव्यक्ति से सराबोर रचनाएँ वातावरण को सुवासित करती रहीं।
रायगढ़ छत्तीसगढ़ से जुड़े भौतिकी के अध्यापक अमित पण्डा ने व्रती के शब्दों में छठी मईया की आराधना करते हुए कहा कर जोड़ खड़ी जल के भीतर में सुहागन आस लगाए, रजनी बीती आ जाओ देव अब जीवन दीप जलाए।
उत्तरकाशी उत्तराखण्ड से जुड़ीं डॉक्टर अंजू सेमवाल ने छठ पूजा की महिमा को भावों में पिरोते हुए छठ पूजा का है अनोखा व्रत, यह शरीर मन और आत्मशुद्धि का व्रत, गीत सुनाया।
विजय डांगे ने छठी मईया की जय जयकार करते हुए संगीतमय प्रस्तुति में कहा छठी मईया की जय जयकार करो आशीष मईया, तिथि उत्सव की आई बहार कार्तिक षष्ठी माँ।
कार्यक्रम अध्यक्ष प्रमोद पटले ने छठ पूजा के मूल सरोकारों को समर्पित काव्य में कहा आओ मनाएं छठ पूजा घर की सुख शांति और संतान के लिए।
किरण अग्रवाल ने भोजपुरी बोली के आशु काव्य में सृजित गीत में कहा आई हो छठी मईया द्वार तोहरी कृपा अपार माई।
इनके अलावा डॉ श्याम बिहारी मिश्र, शोभा प्रसाद, संपत्ति चौरे स्वाति, भगवान दास शर्मा प्रशांत, श्रीपति रस्तोगी, शालिनी बसेड़िया दीक्षित, ज्योति प्यासी, सुजीत कुमार पाण्डेय, भास्कर सिंह माणिक, दीदी राधा श्री शर्मा, पवनेश मिश्र आदि ने काव्य पाठ किया।
अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रमोद जी ने देश भर से जुड़े साहित्यकारों द्वारा परिवारिक माहौल में प्रस्तुत रचनाओं की भूरि – भूरि प्रशंसा करते हुए आयोजन की सफलता पर संतोष प्रकट किया। वहीं मुख्य अतिथि किरण अग्रवाल ने सनातन संस्कृति की जड़ों से जुड़े साहित्यकारों को बधाई देते हुए आस्था और भक्ति के सृजन दीप जलाए रखने का संदेश दिया।
दीदी राधा श्री शर्मा ने सभी का आभार प्रकट करते हुए कहा कि हमारे त्यौहार सामाजिक एकता और सद्भाव के सूत्र हैं जो विविधता में एकमत की सुंदर अवधारणा को चरितार्थ करते हैं। अंत में सर्वे भवन्तु सुखिन: शांति पाठ के साथ कार्यक्रम को विश्राम दिया गया।




