
दीप हो या चाँदनी
छेड़ती हैं रागिनी
हँसती हुई दिशायें
और मुग्ध यामिनी
जन जन है हर्षाये
अवध में राम आये
यूँ सजी अयोध्या
ज्यों सजे कामिनी
आया यह दीप पर्व
भारतीय करें गर्व
छटा ऐसी सुन्दर
संकोच में दामिनी
कमला पधारेगी
खुशियाँ संवारेंगी
गणपति व मैया के
पूजा की यामिनी।
रविशंकर शुक्ल



