
जगमग जगमग दीप जल रहे ,
आया दीवाली त्योहार।
तन -मन में उजियारा भर दे,
प्रेमिल हो सबका व्यवहार।।
माटी के हम दीप जलाएं ,
बाती घी का सुंदर मेल।
अला बला सारी जल जाएं,
है सब विधि विधान का खेल।
हर घर में खुशियां मुस्काएं,
खुद दीपक बन दें उजियार।
द्वारे घर में लक्ष्मी आएं,
पूजा कर लें चरण पखार।
प्रेम ज्योति से यह जग चमके,
रहें न कहीं बचा अँधियार।
सत्य –धर्म की ज्योति जलाएं,
बढ़े प्यार और सहकार।
आओ मिलकर दीप सजाएं,
भक्ति प्रेम का हो संचार।
भाईचारा सुख बरसाए,
मंगलमय हो यह संसार।
डाॅ सुमन मेहरोत्रा
मुजफ्फरपुर, बिहार




