
दीप जले मन के भीतर, मिटे अंधकार सारा,
प्यार, दया, सच्चाई से, भर जाए हृदय हमारा।
आओ मिलकर दीप जलाएँ, खुशियों की हो बहार,
दीपोत्सव का संदेश यही — उजियारा हो हर बार।
धनतेरस का दिन आया, मंगल दीप जलाएँ,
आरोग्य-लक्ष्मी संग कुबेर, सुख-शांति पाए।
धन्वंतरि चरणों में झुके, जग में फैले उजाला,
छल-कपट मिटाकर आए, सुखों का हो प्याला।
भोर जले जब तेल का दीप, तन-मन हो निर्मल,
पाप-राख सब जल जाए, जागे चेतन संबल।
सत्य की जय हो हर ओर, अंधकार सब भागे,
छोटे दीप में छिपा है जो, जीवन का सार जागे।
दीप जले जब अंतस में, मिटे अंधेरा मन का,
स्नेह-सुधा से भर जाए, हर कोना जीवन का।
माँ लक्ष्मी के चरणों में, आराधना का हो भाव,
श्री गणेश के नाम से, हो शुभ हर कार्य प्रभाव।
गोवर्धन की धरती बोले, सेवा का संदेश यही,
गोपाल संग वृक्ष-वनस्पति,करती मंगल वेश सही।
प्रकृति पूज्य है जग में, जीवन का है आधार,
धरती माँ का यह यज्ञ रहे, सदा हमारा प्यार।
भैया दूज का स्नेह बंधन, प्रेम-सुगंध लुटाए,
भाई – बहिन के नेह से, जीवन रंग सजाए।
स्नेह-बंधनों से महके घर, खुशियाँ भरें द्वार,
विश्वास और प्रेम से बनता, परिवार का संसार।
🙏 योगेश गहतोड़ी “यश”
नई दिल्ली – 110059
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