
आओ मन के मंदिर में
दीयना जलाएं प्यारे मित्रो
मन में छाए अंधियारे को
आओ दूर भगाएं मित्रों
अन्धकार से दूर कहीं चल
मिल कर दीयना जलाएं
रात अंधेरी दीयना से सजाएं
अंधेरे में दीयना लेकर के
अपनी राह सुगम बनाएं
अन्धकार से लड़ने का
आओ हम-सब करें प्रतिज्ञा
एक-साथ मिलकर के मित्रों
अंधेरे में उजाला फैलाएं
घर में गली-मुहल्ले चौराहे पर
आओ हम-सब दीयना जलाएं
अंधकार को दूर हटाकर
चहुंओर उजाला फैलाएं
आज दीपावली के अवसर पर
सबजन मिलकर दीयना जलाएं
धूम-धाम से दीपावली का पर्व
प्रेम-भाव से मनाएं
विनोद कुमार सीताराम दुबे शिक्षक भांडुप मुंबई महाराष्ट्र
संस्थापक इन्द्रजीत पुस्तकालय सीताराम ग्रामीण साहित्य परिषद सामवन्ती ग्राम महिला विकास मंडल जुडपुर मड़ियाहूं जौनपुर उत्तर प्रदेश




