आलेख

देवरियाँ नीले ड्रम और सीमेंट वाली मुस्कान की मूर्ति ट्रेडिंग में

हिंदुओं के धार्मिक त्यौहार अब मात्र मनोरंजन के विषय बनकर रह गए हैं

  नीरज कुमार सिंह

दशहरा पहले जहां भक्ति भाव से परिपूर्ण त्योहार था ,वहीं अब मात्र मनोरंजन और विलासिता का उदाहरण बनकर रह गया है।
हमारे बचपन दिनों के दशहरा और आज के दशहरा में भारी बदलाव देखने को मिल रहा है।
पहले जहां शहरों में माता दुर्गा की प्रतिमा आदि सजाई जाती सुंदर झाकियां बनाई जाती थी जो सभी देवी दुर्गा और महिषासुर से संबंधित थे। तमाम देवी देवताओं का दर्शन होता था झाकियां देखकर मन प्रसन्न हो जाता था । मगर आजकल के दशहरा के झाकियां उम्दा किंतु फूहड़ता व्याप्त होती जा रही हैं।
जहां दशहरा में फूहड़ गीत बज वही उल्टी सीधी प्रतिमा स्थापित भी कर रहें हैं।

दशहरा मूर्ति पूजा के नाम पर देवरियाँ जिला ने तो हद ही कर अपराधी मुस्कान की मूर्ति बनाकर माता के पंडाल में सजाकर ।

क्या संदेश देना चाहते देवरिया के मूर्ति क्लब वाले ,,,क्या ये उचित है? जो मुस्कान अपने पति को टुकड़े टुकड़े में काटकर नीले ड्रम में दो बोरी सीमेंट ऊपर से डालकर जमा क्या उसकी मूर्ति स्थापित करना उचित यह देखकर आने वाली जनरेशन पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?
काश की मूर्ति क्लब के लोग इस विषय पर विचार करते ।

उन्हें क्या उनको ट्रेडिंग में रहना है । नीला ड्रम दो बोरा सीमेंट से ट्रेंड करवाना अपनी मूर्ति को ।

जो भी यह गलत संदेश दे देवरियां कि जनता को नीले ड्रम और सीमेंट वाली मुस्कान मूर्ति का वहिष्कार करना चाहिए।
लेकिन अफसोस की लोग विरोध करने के बजाय उसे ट्रेडिंग में ला दिए जो आने वाली जनरेशन के लिए खतरनाक है।

समाचार प्रदाता
नीरज कुमार सिंह
देवरिया उत्तर प्रदेश

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