
ओ३म् जुड़ा जिस शब्द में, चित्त करे है शान्त ।
इसका उच्चारण सभी, दूर करे है क्लान्त ।।१।।
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कितने रूपों में मिले, ईश्वर का ही रूप ।
जिसको ऐसा दीखता, वह भी बहुत अनूप ।।२।।
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हाथ उठाकर दे रहे, शिव सबको आशीष ।
दोनों बालक कर नकल, बनते बड़े मनीष ।।३।।
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सर्वोत्तम है दूध तो, और बहुत हैं लाभ ।
गइया को यों पूजते, हेमा हों अमिताभ ।।४।।
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रोटी माखन की लगी, लाये नंदकुमार ।
बछिया उनके हाथ से, लेकर रही डकार ।।५।।
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नेता-वैज्ञानिक सहित, विश्व पटल के लोग ।
जुड़े मिले हैं तार सब, भारत सह संयोग ।।६।।
-राम किशोर वर्मा
रामपुर (उ०प्र०)




