साहित्य

एक दीप उनके नाम जलाओ

दिवाकर पाठक

दीप जलाओ,द्वेष मिटाओ,राष्ट्रवाद का मान बढ़ाओ।
देश के नाम दीप जलाओ,राष्ट्रवाद का संकल्प दुहराओ।।
सैनिकों का सम्मान बढ़ाओ,एक दीप उनके नाम जलाओ।
राष्ट्रवाद की दीक्षा पाओ,स्वदेशी की शिक्षा पाओ।।

दुश्मनों को दो टुक समझाओ,परमाणु बम बन दिखलाओ।
एकता का दीप जलाओ,घर-घर दिवाली मनाओ।।
दीप से दीप जलाओ,चमन में फूल खिलाओ।
बेबस लाचारों का मान बढ़ाओ,एक दीप उनके नाम जलाओ।।
दीप से प्रीत बढ़ाओ,दीप का रीत निभाओ,साथ-साथ सीमा सजाओ,दुश्मनों को मार गिराओ।
राष्ट्रवाद का राग बढ़ाओ,विश्व गुरु का गुर सिखाओ,ज्ञान की गणित हमें पढ़ाओ,एक दीप गुरु के नाम जलाओ।।

विजय मंत्र का शंखनाद बजाओ,सूरज सा तलवार चमकाओ,दुश्मनों का काल बन जाओ,ऐसी दिवाली आप मनाओ।
माँ भारती का अपमान,नहीं सहेगा हिंदुस्तान।।
मिटा दो देश के गद्दारों को,दिखला दो अपनी औकात।
इस दिवाली देश के नाम,यही है हम वीरों की शान।।
एक दीप उन शहीदों के नाम,ऐसे मनाएं दिवाली आप।

मिटा दो देश के गद्दारों को,दिखला दो देश के मक्कारों को,हम झुकते नहीं झुकाते हैं,हम मिटते नहीं मिटाते हैं।
इस दिवाली देश के नाम,दिखला दो शत्रुओं को सीना तान।।
माँ भारती का अपमान,अब नहीं सहेगा हिंदुस्तान।
मिटा दो देश के गद्दारों को,दिखला दो हम हैं माँ भारती के लाल।।

इस दिवाली देश के नाम,दिखला दो यह शुभ दिन आप।
कर दो जय हिंद का उद्घोष,दिखला दो वीरों का यह जय घोष।।
स्वर्ण कलश सा जीवन सजाओ,खुशियों का संसार बसाओ।
एक दीप अनाथ बच्चों के नाम जलाओ,ऐसी दिवाली आप मनाओ।।

देश को भयमुक्त बनाओ,आतंकवाद की जड़ मिटाओ।
विजय मंत्र का बिगुल बजाओ,अपराधों पर अग्निबाण बरसाओ।।
जगमग जगमग ज्योति जलाओ,माँ भारती की आरती सजाओ।
राष्ट्रभक्त बन दिखलाओ,एक दीप उन भूखे-प्यासों के नाम जलाओ।।

सृष्टि को दृष्टि दिखलाओ,न्याय की दीप जलाओ।
रिश्तों को रेगिस्तान न बनाओ,रिश्तों को रसदार बनाओ।।
सृष्टि में वृष्टि कराओ,हरियाली की हरि झंडी दिखलाओ।
विश्व को बीजगणित सिखाओ,एकता का अंकगणित दिखाओ।।
विश्व गुरु की ओर कदम बढ़ाओ,शांति का श्रृंगार सजाओ।
प्रीत बढ़ाओ,रीत निभाओ,एक दीप मानवता की मौत के नाम जलाओ,ऐसी दिवाली आप मनाओ।।

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