
दीपों की ज्योति जगमगाए,
सुख समृद्धि द्वार पे आए,
पर भूल न जाना उस लक्ष्मी को,
जो रोज़ तुम्हारे संग मुस्कुराए।
माँ लक्ष्मी पूजन सब करते,
धूप, दीप, फूल चढ़ाते हैं,
पर सच्ची पूजा तब होती है,
जब घर की लक्ष्मी को मान देते हैं।
जिसके हाथों से रसोई महके,
जिसकी हँसी से आँगन चमके,
उसे आदर, स्नेह दे हर पल,
तभी सच्चे अर्थों में दीपक दमके।
तो इस दीपावली बस यही प्रण,
ना केवल सोने-चाँदी का मन,
घर की लक्ष्मी को करे प्रसन्न,
यही सच्चा होगा पूजन धन।
पूनम त्रिपाठी
गोरखपुर ✍️




