
रौशनी होगी जग में जलेंगे दिये।
कुछ यतीमों के हक में बनेंगे दिये।१।
जगमगाएंगे सबके मकां हर तरफ़।
ख़ुशनुमा हो दिवाली कहेंगे दिये।२।
एक दीपक जला लो हृदय में मग़र।
प्रण करो कि नहीं अब बुझेंगे दिये।।
जो मिटा दे अंधेरा जहाँ का सुनो।
हाँ यकीनन उन्हीं के बिकेंगे दिये।३।
जब ख़रीदें दिये इल्म इतना रहे।
प्यार की राह में ही सजेंगे दिये।४।
फ़ूट के रोया कुम्हार ये सोचकर।
मज़हबी ज़ंग कैसे सहेंगे दिये।५।
कच्ची माटी से बनता है कुछ भी नहीं।
जब ढलेंगे पकेंगे बिकेंगे दिये।६।
‘राज़’ की बात है ये यकीं मान लो।
हो मुहब्बत दिलों में हँसेंगे दिये।७।
डाॅ.राजेश श्रीवास्तव राज
गाजियाबाद




