साहित्य

गोवर्धन-अन्नकूट पूजा

ज्ञान विभूषण डॉ. विनय कुमार श्रीवास्तव

चलो आज पूजा करते हैं, गोवर्धन गिरधारी की।
नटवर नागर मुरली मनोहर,कृष्णा गिरधारी की।।

द्वापर मथुरा में अवतरित,श्रीविष्णु अवतारी की।
वासुदेव-देवकी से जन्में,मोहन मदन मुरारी की।।

पंच दीप पर्व,शुभ दिवाली के,दूसरे दिन होती है।
भइया दूज चित्रगुप्त पूजन,के पहले ये होती है।।

गोवर्धन पूजा-अन्नकूट पर्व ये,परिवा को होती है।
इंद्रदेव का तोड़े गुमान,कृष्णबिहारी की होती है।।

प्रसंग यह है देखें,वर्षा हेतु इंद्रदेव की पूजा करते।
पूड़ी पकवान मिठाई बना,सब लोग पूजा करते।।

कृष्ण कहे ब्रजवासी,तुम गोवर्धन की पूजा करते।
इंद्रदेव को ज्ञात हुआ,मेरी पूजा वह रोका करते।।

इंद्रदेव क्रोध में आकर,तब ब्रज में भारी वर्षा की।
अभिमानी इंद्रदेव ने,तब मूसलाधार बारिश की।।

हाहाकार मचा ग्वालबाल ने,कृष्ण से प्रार्थना की।
रोको इसे मुरारी अबतो,सभी ने यह याचना की।।

कृष्ण अपने छोटी उंगली से,गोवर्धन गिरि उठाए।
ग्वालबाल गउएं सब बचने,इसके नीचे ही आए।।

बनाए गए खाद्य पकवान,मिश्रित कर हैं मिलाए।
यही अन्नकूट है सभी मिलकर,चावपूर्वक खाए।।

इंद्रदेव को ज्ञात हुआ,श्रीकृष्ण प्रभु की ये लीला।
समझ गया जब सब,अभिमान पड़ गया ढीला।।

कोई और नहीं है,साक्षात परमब्रह्म की है लीला।
श्रीकृष्ण को शीश झुका,माँगे क्षमा इंद्र हठीला।।

इंद्र कहे प्रभु!आप,परमपिता हैं मुझे न था ज्ञान।
नन्दलाल प्रसन्न हुए,इंददेव को देदिए क्षमादान।।

श्रीकृष्ण का नाम तबसे है,गोवर्धनधारी भगवान।
गोवर्धन-अन्नकूट पूजा,एक है इसका लें संज्ञान।।

जय हो श्रीकृष्ण भगवान,जयहो हे!गोवर्धनधारी।
जय वासुदेव-देवकी नंदन,जयहो हे!कृष्णमुरारी।।

सर्वाधिकार सुरक्षित ©®

रचयिता :
*ज्ञान विभूषण डॉ. विनय कुमार श्रीवास्तव*
सेवानिवृत्त वरिष्ठ प्रवक्ता,पी.बी.कालेज,प्रतापगढ़,उ.प्र.
(शिक्षक,कवि,लेखक,साहित्यकार समीक्षक व समाजसेवी)
इंटरनेशनल ज्वाइंट ट्रेजरर 2023-2024 ए.सी.आई.
एलायंस क्लब्स इंटरनेशनल/राष्ट्रीय अध्यक्ष-एम.एस.ए.बौ.प्र.
(वरिष्ठ समाजसेवी-प्रांतीय,राष्ट्रीय,अंतरराष्ट्रीय सेवा संगठन)

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