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हिंदू धर्म में 33 प्रकार के देवता है। 33 करोड़ नहीं.।

 

(डॉ राकेश पाण्डेय।)

 

हिंदू धर्म में 33 प्रकार के देवता है। 33 करोड़ नहीं.

हिंदू धर्म के प्राचीन ग्रंथों, विशेष रूप से वेदों (जैसे ऋग्वेद, यजुर्वेद और ब्राह्मण ग्रंथों) में 33 प्रकार के देवताओं (देवता) का उल्लेख है। यहाँ “33 कोटि देवता” का अर्थ 33 करोड़ देवता नहीं, बल्कि 33 प्रकार (types) के देवता है। संस्कृत में “कोटि” शब्द का अर्थ “प्रकार” या “वर्ग” भी होता है। यह एक सामान्य भ्रम है, लेकिन वास्तव में ये 33 देवता ब्रह्मांड के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं।

ये 33 देवता चार मुख्य समूहों में विभाजित हैं:

8 वसु (Vasus): ये पृथ्वी के तत्वों और प्राकृतिक शक्तियों के देवता हैं।

वसु (Vasu)

धारा (Dhara)

ध्रुव (Dhruva)

सोम (Soma)

आनंद (Ananda)

अनिल (Anila)

अनल (Anala)

प्रभास (Prabhasa)

11 रुद्र (Rudras): ये तूफान, विनाश और परिवर्तन के देवता हैं, जो भगवान शिव के रूप हैं।

हर (Hara)

नील (Nila)

ईशान (Ishana)

भव (Bhava)

भीम (Bhima)

उग्र (Ugra)

कपाली (Kapali)

ईशान (Ishvara)

महादेव (Mahadeva)

रुद्र (Rudra)

शंकर (Shankara)

12 आदित्य (Adityas): ये सूर्य के 12 रूप हैं, जो वर्ष के 12 मासों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन्हें कभी-कभी 11 माना जाता है, लेकिन ब्राह्मण ग्रंथों में 12 हैं।

इंद्र (Indra)

वरुण (Varuna)

मित्र (Mitra)

अर्यमा (Aryaman)

भाग (Bhaga)

अम्बु (Amshu)

धाता (Dhatri)

अरक (Arka)

शत्रु (Shakra)

विष्णु (Vishnu)

विवस्वान (Vivasvan)

पूषण (Pushan)

2 अश्विनी कुमार (Ashvins): ये जुड़वां देवता हैं, जो चिकित्सा और सूर्य के पुत्र हैं।

नसत्य (Nasatya)

दस्रा (Dasra)

कुल मिलाकर: 8 + 11 + 12 + 2 = 33।

कभी-कभी सूची में इंद्र और प्रजापति को अलग से गिना जाता है, लेकिन मुख्य वर्गीकरण यही है। ये देवता ब्रह्मांड की रक्षा, संतुलन और सृजन के विभिन्न रूप हैं, और सभी अंततः एक परम ब्रह्म (सर्वोच्च सत्य) के अंश माने जाते हैं।

 

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