
शुभ कर्म का ही ये उदय है, दिव्य फुलवारी मिली।
माँ शारदे का हाथ सिर पर, शुभ कलमकारी मिली।।1।।
कैसे रखें आचार अपना, जय मिले कैसे हमें।
ये सब बताने के लिए तो, माँ हमें प्यारी मिली।।2।।
रात-दिन देखा नहीं बस, काम करते ही रहे।
परिणाम आया सामने तो, जीत सच भारी मिली।।3।।
बेटी पढ़ाई गर्व से थी, सामना सबका किया।
छू रही आकाश को वह, अब खुशी न्यारी मिली।।4।।
माता -पिता की बात सुनते, ध्यान देते हम सदा।
काँटे हटे अब आज ‘हिम्मत’, मान हुशियारी मिली।।
हिम्मत चोरड़िया प्रज्ञा
कोलकाता,लाडनूँ




