साहित्य

जीवन के खट्टे मीठे अनुभव

डॉ कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’, ‘विद्यावाचस्पति’

हम अच्छे हों तो सब अच्छे हैं,

कितनी भ्रामक यह कहावत है,
अच्छे सच्चे को मूर्ख समझना है,
उसका भयदोहन शोषण करना है।

बुद्धिमान को भूत कमाते हैं,
ज़्यादा सीधे सच्चे न बनते हैं,
अगला जो जैसा मिलता है,
हम बस उससे वैसे ही मिलते हैं।

यदि करे बड़ाई झूठी सच्ची,
हमें होशियार उससे रहना है,
यदि निंदा में कोई कुछ कह दे,
सोचो, पर नहीं कभी उबलना है ।

क्रोध पाप का कारण होता है,
क्रोध की ज्वाला में ना जलना है,
शब्द जाल दिखलाती दुनिया,
मीठी बातों में न कभी फिसलना है ।

सत्य हमेशा कड़वा होता है,
जीवन मिथ्या मृत्यु सत्य है,
प्रेम छलावा इसे सभी चाहते,
मृत्यु अटल, इससे नफ़रत करते।

आत्म विश्वास बनाकर रखिये,
तन मन की ताक़त बढ़ जाती है,
औरों की आस्था पर निर्भर रहना,
खुद क्रमशः कमजोर बनाती है।

हम हमेशा सही करें, यह याद
कोई भी कभी नहीं रख पाता है,
गलती यदि कोई हो जाये हमसे,
आदित्य याद सदा रखा जाता है।

डॉ कर्नल आदि शंकर मिश्र
‘आदित्य’, ‘विद्यावाचस्पति’
लखनऊ

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!