साहित्य

जीवन_मृत्यु

शशि कांत श्रीवास्तव

बढ़ रहा है यह जीवन
पूर्णता की ओर ,
धीरे -धीरे…,
आ रही है पास हमारे
ले जाने को उस पार -प्रिये
महबूबा सी मृत्यु -प्रिये |
छोड़ के पास तुम्हारे जाऊंगा
संग बिताये ,
मधुर मिलन की यादें -प्रिये |
आना -जाना तो रहता है सदा
उस पार से इस पार –प्रिये ,
इक अनजान मुसाफ़िर बनके
प्रिये…,
यह भी एक अटल -सत्य है ,
जो आया है इस संसृति में
वो जायेगा इस संसृति से…||

शशि कांत श्रीवास्तव
डेराबस्सी मोहाली, पंजाब

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