
मेरे लिए आप
सदा ही बड़े भाई के साथ
पिता के रूप में भी
सदा ही महसूस किया
जब से पिता नहीं रहे
आप पिता और पूज्य भाभी
मां सा सदा ही
प्यार स्नेह और अशीष पाया है
वैसे भी मेरे इतने लंबे जीवन में
सैकड़ों लोगों की
दुआं और साथ से यहां तक
आया हूं
उसमें आपका अद्भुत साथ कैसे भूल सकता
मेरी नई कविता
देश और विश्व में चर्चित है
तो इसके प्रेरणा स्त्रोत
आप हैं
आपकी कविता पढ़ सिखा
खैर कितने अहसास हैं
कितने एहसान है
कितने ही ऋण है आप के
सैकड़ों लोगों के
संभव नहीं
गिनना और संभव नहीं
उतारा
सब कुछ ईश्वर जाने
मैं तो सदा की तरह
आपको पूज्य भाभी को
और सभी को सत् सत् प्रणाम करता
इसके अतिरिक्त मुझे कुछ आता नहीं
ईश्वर लंबी उम्र दे
और आप इसी तरह बने रहे
आशीष देते
डॉ रामशंकर चंचल
झाबुआ मध्य प्रदेश




