अगर आप किसी के अंडर नौकरी कर रहे हैं और आप ज्योतिष भी जानते है तो कही अपने इस स्वरूप और ज्ञान को जगजाहिर न करिए अन्यथा संकट में पड़ सकते है । बॉस आपसे यह कह सकते है कि ज्योतिषी (भाग्य वाचने) का काम छोड़ कर अपने काम में मन लगाओ ।
यह सोच कर मैं हैरान हो उठता था कि इस समाज में ऐसे नौकरशाह हैं जो ज्योतिष को दोयम दर्जे का काम समझते हैं । ऐसे ‘चिरकुट’ समझ के लोगो से मेरा खूब पाला पड़ा है । खूब गुस्सा भी आया है लेकिन कुछ कह या कर नहीं सका अगर कोई अन्य व्यक्ति होता तो उनकी खूब खबर लेता।
आप कितना ही अपने ज्योतिष ज्ञान और स्वरूप को छिपाए लेकिन समाज में यह एक ऐसा अवगुण है जो न चाहकर भी जग जाहिर हो ही जाता हैं । एक नेता ने एक अधिकारी से मेरा परिचय एक आदर्श शिक्षक के रूप में कराया और धीमे और रियायती दर से यह बात भी चेप दी कि सर जी ज्योतिष भी जानते है । यह बात इतने नामालूम ढंग से कही गई थी कि उसके कहने न कहने का कोई फर्क नहीं पड़ा ।
मैने अपना विरोध जाहिर करते हुए यह बात उससे कही कि ज्योतिष जानना कोई कत्ल करने जैसे काम नही है। उनसे मैंने ज्योतिष के ऊपर लम्बी तकरीर दी कि उसके बाद वह कहीं भी किसी से ज्योतिषी के रूप में मेरा परिचय कराना भूल गये । मैंने एक अघोषित सर्कुलर ही जारी कर रखा है कि मेरे परिचय में ज्योतिषाचार्य का रूप शामिल न हो। जिन्हें ज्योतिष का ‘ज्’ भी नहीं मालूम है समाज ऐसे मूढ़ों से भरा हुआ है जिन्हे ज्योतिष और धर्म से कोई मतलब नहीं है । पूंजी और लंपटई ही उनका ईश्वर है।
कुछ लोग मुझे ज्योतिषीय सम्मेलनों का एस्ट्रोलाजर समझते थे और उस परंपरा के ज्योतिषियों की तरह पेश आते थे। भारतीय सनातन परंपरा के ऐसे कई ज्योतिषियों को बचपन में देखा और सुना था जो हाथ देखकर और झोली में पोथी पतरा लेकर लोगों के भविष्य को पढ़ते ( भविष्यवाणी करते ) थे । उनके भीतर भृगु और परासर महाशय की आत्मा आ जाती थी । लोगों के तमाम गुप्त रहस्य तक खुल जाते थे सामने वाला ऐसे ज्योतिष मर्मज्ञों के समक्ष गूंगा हो जाता था ।
दूसरे किस्म के ज्योतिषी भी देखे जो स्त्रियों की तरह लंबे बाल रखते थे और टीका चंदन लगाकर लोगों के विषय में तमाम उलूल – जुलूल भविष्यवाणियों को करते रहते थे । उनकी एकाध बातें कभी तुक्केबाजी में सच साबित हो जाती। वे बातचीत में मुझे एक नंबर का ठग दिखते थे । अगर समीप से न देखा जाय तो ठग और लुच्चई का भेद जाहिर नही हो पाता था । ऐसे ज्योतिषियों ने गंभीर ज्योतिष के शोधार्थियों और विद्वानों की छवि को बहुत ही नुकसान पहुंचाया हैं।
जैसा मैंने बताया कि अवगुण जल्दी जाहिर हो जाते है । यह संक्रमण जनपद से लेकर मुख्यालय और राजधानी तक पहुंच चुका था। लोग मुझे ज्योतिषी के रूप में जानने लगे थे । नौकरी के दौरान वांछित लक्ष्य न पूरा होने का कारण मेरा ज्योतिष अध्ययन और ज्योतिष के प्रति मेरी दिवानगी माना जाने लगा था । एक बार जिले के एक बड़े अधिकारी महोदय प्रेस कान्फ्रेन्स कर रहे थे। उसी दौरान एक मुंहलगे पत्रकार मित्र ने मेरा परिचय बताते हुए चापलूसी में कह दिया कि गुरू जी एक एस्ट्रोलाजर भी है और मेरी शामत आ गई । मुझे भरी सभा में तलब किया गया । उन्होंने लगभग डा़टते हुए कहा, तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया कि तुम ज्योतिष जानते हो । मैं क्या बताता कि ज्योतिष पढ़ने और कुण्डली वाचने के कारण मैं अपने महकमे में कितना अपमानित और दण्डित भी हो चुका हूं।
उन्होंने मुझे आदेश दिया, चलो मेरे बारे में कुछ ऐसा बताओ जो मेरे अलावा कोई और न जानता हो। मैंने तत्काल उनके कुण्डली को देखा और ग्रहों की महादशा तथा कुण्डली में ग्रहों के स्थान की गणना करते हुए बोला कि सबके सामने नहीं अकेले में बताऊंगा। वह मान गये और जब मैंने बंद कमरे में उनके बारे में कहा कि सर आप की कुण्डली की गणना और ग्रहों की स्थिति के मुताबिक आप ‘गे’ है। इतना सुनते ही उन्होनें तत्काल मेरा पैर पकड़ लिया और उसके बाद से मेरा मामला जम गया । मैंने उनको आश्वस्त किया कि विश्वास कीजिये यह बात कहीं खुलेगी नहीं।
वे मुझे अपने आवास पर बुलाने लगे और अपने तथा अपने परिजनों, रिश्तेदारों और मित्रों की कुण्डली दिखाने लगे। यह जानते हुए कि उनका आने वाला भविष्य अंधकारमय होने वाला है मैंने उनके बारे में तमाम अन्य बाते भी बताईं। मैने उनकी खूब तारीफ भी की । पूरे कैरियर में वे ही ऐसे बड़े अधिकारी थे जिन्होंने मेरे ज्योतिषी रूप की कोई आलोचना नहीं की और मेरे प्रति उदार बने रहे । बाकी कई तो अगिया बैताल थे। एस्ट्रोलाजी के नाम से ऐसे भड़क जाते थे जैसे किसी सांड ने लाल कपड़ा देख लिया हो।
इस समाज में ज्योतिषाचार्य होने के लिए अनेक दु:ख उठाने पड़ते है । तमाम नौकरशाह और पूंजीपति तो ऐसे मिले जो ज्योतिषियों के दुर्दांत दुश्मन है। यह अलग बात है कि नेता से लेकर अभिनेता, अधिकारी से लेकर अपराधी तक हर कोई अपने ग्रहों, नक्षत्रों और भविष्य को लेकर चिन्तित तथा परेशान रहते हैं और योग्य ज्योतिषियों के तलाश में भटकते रहते है।
अंत में यह कहना चाहूंगा कि एक ज्योतिषी के रूप में आप घर में भी सुखी नही रह पाते । फिर भी एक ज्योतिषाचार्य अपने अर्जित ज्ञान से इस दुनिया को और अपने चाहने वालों के जीवन को बेहतर बनाता रहता है । आज मैं अब सोचता हूं कि मेरे जीवन में यह भी कोई कम उपलब्धि नहीं है।



