
खुशी की तलाश में कहा आ गए हम,
पत्नी से लड़ते-झगड़ते और पीते रम।
जग में खुशी की हम सब करते तलाश,
मां-बाप को भेजकर वृद्धाश्रम होते खुश।।
खुशी की तलाश रहती जग में सभी को,
तलाश कर घर में मिलेंगी खुशी तुमको।
तूं बन्दें मां बाप की कर लें जीवन में सेवा,
खुशी की तलाश पूरी होगी,मिलेगा मेवा।।
खुशी की तलाश में कहां जाते हो तुम,
दीन-दुखियों की सेवा कर खुशी लें चूम।
तूं सारी धरा पर सजा लें प्यार के कुसुम,
मन मन्दिर में मिलेगी चाहे दुनिया लें घूम।।
खुशी की तलाश करता है,जीवन में हरदम,
बन्दें हर पल सबके कष्टों पर लगा मरहम।
सबके मंगल की बात जीवन में करता चल,
खुशियों की तलाश पूरी होगी तेरी हर पल।।
सुनील कुमार “खुराना”
नकुड़ सहारनपुर
उत्तर प्रदेश भारत




