
आज के युग में प्रत्येक व्यक्ति दूसरों से श्रेष्ठ साबित होना चाहता है और स्वयं कुछ विशेष करना चाहता है। किंतु अक्सर वह यह निर्णय नहीं कर पाता कि उसे वास्तव में क्या करना चाहिए। और यदि वह कुछ कर भी लेता है, तो भी उसके भीतर असंतोष बना रहता है। यही असंतोष धीरे-धीरे उसे निराशा की ओर ले जाता है।
मौन की साधना में आज कोई जीना नहीं चाहता, अविचल और अविराम चलने की इच्छा भी कम होती जा रही है। मन की शांति और मानसिक संतुलन अनेक प्रकार के विचारों से घिर जाने पर डगमगा जाते हैं। यह असमंजस व्यक्ति की क्षमता को आगे नहीं बढ़ने देता।
श्रीमती ऋतु गर्ग एक कुशल पेरेंटिंग कोच, सफल गृहिणी, समाजसेविका और साहित्यकार हैं। उन्होंने अपने जीवन में अनेक अनुभवों से गुजरते हुए एक संतुलित जीवन की व्यवस्था बनाई है। अपने अनुभवों के आधार पर वे दूसरों को भी प्रेरित करती हैं ताकि वे अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकें।
उनसे जो भी मिलता है, वह उनके सहज और सरल स्वभाव से तुरंत जुड़ जाता है। वे स्वयं को आगे रखने की अपेक्षा दूसरों को आगे लाने का कार्य करती हैं। यही उनकी प्रसन्नता का आधार है और यही उन्हें आत्म-संतुष्टि प्रदान करता है।
श्रीमती गर्ग अपनी संस्कृति के उत्थान के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। कभी अपने लेखन के माध्यम से, कभी विचारों के आदान-प्रदान से, तो कभी कर्तव्यबोध के संदेशों से वे लोगों को सनातन संस्कृति से जोड़ती हैं। वे आज की समाज में एक सशक्त प्रेरणा-स्रोत बन चुकी हैं।
उनका लेखन सहज और सरस है, जो पाठक के मन को सीधे छू जाता है। प्रतिष्ठित साहित्यकारों के बीच उन्होंने अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है।
जीवन की विपरीत परिस्थितियों का भी उन्होंने सदैव मुस्कुराते हुए सामना किया है। उनके उन्मुक्त विचार और सेवा-भाव उनकी सबसे बड़ी शक्ति हैं। उनका कहना है।
*ऐसी कोई वस्तु नहीं जो हमें आत्म-संतुष्टि प्रदान कर सके; केवल सेवा-भाव ही हमें सच्ची संतुष्टि देता है, और वही सफलता का रहस्य है।”*
यदि हमारे पास लाखों-करोड़ों हों, पर आत्म-संतुष्टि न हो, तो हम सफल नहीं कहला सकते। सच्ची सफलता वही है, जो हमें आंतरिक शांति और दूसरों को खुशी दे।
आज श्रीमती ऋतु गर्ग ‘ग्रीनर फ्यूचर, हैप्पी पेरेंटिंग कोच’ के नाम से जानी जाती हैं। उनके यूट्यूब चैनल के माध्यम से अनेक लोग प्रेरित होकर अपने जीवन में छोटे-छोटे सुधार ला रहे हैं, और यही उनके कार्य की सच्ची उपलब्धि है।




