चलते हैं व्यवसाय तो, मिलें बहु रोजगार ।
मानवता फलती तभी, बनते हैं व्यवहार ।।
बनते हैं व्यवहार, स्वच्छता पर बल होता ।
निर्धन या धनवान, राम-चरणों को धोता ।।
दीवाली त्यौहार, सभी के घर यों पलते ।
माने कोई धर्म, सभी के धन्धे चलते ।।१।।
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अब बदला पर्यावरण, खीचे सबका ध्यान ।
गोवर्धन का पर्व यों, है सम्मत विज्ञान ।।
है सम्मत विज्ञान, हितैषी जड़-चेतन के ।
धर्म सनातन देख, प्रेम बोता हर मन के ।।
दूर दृष्टि की सोच, कृष्ण ने चेताया तब ।
पर्यावरण विचार, याद करता है जग अब ।।२।।
-राम किशोर वर्मा
रामपुर (उ०प्र०)
दिनांक:- २२-१०-२०२५ बुधवार


