साहित्य

माता,पिता सदा साथ होते है

डॉ रामशंकर चंचल

लघु कथा

जीवन का अद्भुत सत्य है जो सचमुच वंदनीय हैं और ईश्वर का दिया उपहार हैं मानव मात्र को, यह परम् सत्य मैने सदा ही महसूस किया है और आज भी सदा महसूस करता हूं
मुझे याद है सब कुछ याद है और यह याद भी उन्हीं माता पिता का अथाह प्रेम प्यार और आशीष हैं
कोई भी माता पिता हो, बच्चों के लिए सचमुच वंदनीय हैं और गर्व है यह सत्य स्वीकार करना होगा और आत्मा विश्वास निष्ठा समर्पण और आस्था से जीना होगा सदा ही प्रसन्न हो पूरी निष्ठा से, मैने देखा है मेरा समय जो आज भी सदा याद आता है
घर,परिवार,समाज सभी से उपेक्षित
रामू को चाय वाला रामू, बदसूरत रामू, कितने ही उपनाम से याद किया जाता था रामू जो सदा ही दुःख महसूस करता था कि ईश्वर ने उसे नवाजा है इन सभी से पर, कुछ था तो उसके भीतर विराजमान ईश्वर आग जो सदा ही , छटपटा रही थी और वह आग अलाव बन उसे पूरे आत्मा विश्वास से सतत् साधना तपस्या में लीन कर लगी रही और माता, पिता को उनके रामू चाय वाला रामू ओर बदसूरत रामू की पीड़ा से उभार कर उन्हें सुख सुकून दे बस कि उनका रामू है यूं ही नहीं है और वह गर्व महसूस कर सके
आज उन्हीं माता पिता के साथ बने रहने के अहसास को जिंदा रखें हुए
उनका रामू , कितने ही अपनों को खो देने के बाद भी वह विचलित नहीं हुआ और लगा रहा सदा ही सत् कर्म में, आज उस रामू को गर्व है कि उसके माता,पिता जी कभी नहीं मरते हैं और सदा ही जिन्दा रह कर साथ देते हुए, बहुत कुछ दे जाते है
इसी अहसास को सदा ही मन और मस्तक में रख चल रहा रामू जो आज सम्पूर्ण विश्व धरा पर विराजमान है ईश्वर कृपा और देवत्व इंसान रूप माता पिता के ही प्यार दुलार और आशीष से, आज उनका रामू संतोष लिए जी रहा है एक ऐसा इतिहास रचता हुआ जो सदियों उसके माता पिता को गर्व प्रदान करेगा उन्हीं के अथाह प्रेम प्यार और आशीष से यह सब कुछ मिला उसे वह अच्छे से जानता है और आज भी सदा ही उन्हें वंदन करता है,,,,

यह अद्भुत सत्य कथा यूं ही जन्म नहीं ली है आज अभी सुबह छह बजे नींद खुली और बेटे का मेरे लिए लिखा हुआ आत्म विश्वास निष्ठा समर्पण देखा जो सचमुच वंदनीय था और गर्व महसूस करता हुआ कि
मेरा बेटा भी मेरी तरह माता पिता के आशीष और सदा ही साथ महसूस करता है और आत्म विश्वास रखता हैं, बहुत सीधा है मेरी तरह और जो सीधा होता हैं उसके साथ ईश्वर हमेशा होता हैं बस इतना है कि कुछ
धैर्य रखना होता हैं सब को सब नसीब है, रही बात जीवन में आए अथाह दुःख कि तो वह भी आपको बहुत कुछ दे जाता है और सही मार्ग दर्शन देता हुआ सार्थक होता हैं
दुःख के बाद मिला सुख सुकून जितना सुख और आनंद देता है वह सदा ही सुख बने रहने से ज्यादा बहुत ही ज्यादा अच्छा और अद्भुत होता हैं

एजे सदा सालों से घर की चार दीवारों में कैद मेरा जीवन है यह सत्य मेरे बच्चें देख रहे हैं और यह भी की इन्हीं चार दीवारों में कैद रहकर भी मैने वो हासिल किया जो
कभी भी किसी के लिए संभव नहीं लगता है और चौंकाने वाला होता हैं पर सत्य है जो आंखों से देख रहे हैं और दुनिया भी देख रही है
बस , विश्वास निष्ठा समर्पण से साधना तपस्या लीन रहे और अपने कर्म ईश्वर को सौंप दें, विश्वास रखे अपने माता पिता के सदा ही साथ महसूस करने पर यही था कि आज सम्पूर्ण विश्व स्तर पर दस्तक देता हुआ उनका रामू छाया है जो उनके साथ रहने से ही बना है और चल, दौड़ रहा है

वंदन सत् सत् प्रणाम करता हूं ईश्वरीय तुल्य माता पिता को, दुनिया के सभी माता पिता को जो कभी मरते नहीं और न होते हुए भी सदा ही बच्चों के साथ रहते हैं तभी तो दुनिया में खुशी, सुख सुकून देखने
मिलता है

 

डॉ रामशंकर चंचल
झाबुआ मध्य प्रदेश
अद्भुत सत्य कथा है उन्हीं के अथाह प्रेम प्यार और आशीष से जन्म ली एक एक शब्द सत्य विचारणीय प्रेरणा स्त्रोत, आस्था आत्मा विश्वास पैदा करता है

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