
मेरीअश्रुपाती पढ़ो मां !
नहीं मरना मुझे
समझो मां !
भ्रूण हूं तो क्या!
अस्तित्व में आ गई हूं
मेरा क्रंदन
सुनाई नहीं देता तुम्हें ?
दादी-पापा को समझाओ..
गै़र- क़ानूनी है लिंग- परीक्षण
उन्हें याद दिलाओ ।
मैं तुम्हारी प्यारी सहेली बन कर रहूंगी
पूरे परिवार का नाम रोशन करूंगी
डॉक्टर आ रहे हैं मां, उठो, भाग जाओ
मुझे नहीं मरना, जीना मेरा हक़ है
मुझे जीना है …मुझे जीने दो मां ।
ये ख़ूबसूरत दुनियां देखना चाहती हूं मां
चूड़ी वाले हाथों में ,निर्णय की तलवार थामो मां
बिंदिया के लाल रंग से हिम्मत जुटाओ मां
अरे किस बात की सज़ा दे रही हो मुझे?
तुम और दादी भी तो बेटी हो ना !
क्या हो गया है तेरी ममता को मां !
गर्भस्थ बिटिया के कातर क्रंदन से कराह रही है
वो
अचानक सब कुछ शांत… भ्रूण बाहर
फिर गूंजता है एक अटृहास ….
कन्या पूजन करते हो
मगर…..कन्या को जन्मने नहीं देते !!!!
ख़ामोश है वो …
मगर…बच्ची का कातर क्रन्दन
उसके कानों पर अब भी हथौड़े मार रहा है।
@मधु माहेश्वरी


