
पद्मावती सिंहल राज्य की राजकुमारी,
चित्तौड़ के राजा रतन सिंह की पत्नी,
चित्तौड़गढ़ की महारानी थी….
महारानी पद्मावती चित्तौड़ की माटी का सौंदर्य
मान सम्मान थी…..
दूर दूर तक फैली हुई थी खुशबू चित्तौड़ की माटी की….
दूर-दूर तक चर्चा थी रानी के सौंदर्य की…
दानव दुष्ट अलाउद्दीन खिलजी की आंखों ने भी
देखा था सपना महारानी के रूप को देखने का
महारानी पद्मावती को प्राप्त करने का…
चित्तौड़ की धरती पर कर दिया था आक्रमण
खिलजी ने….
अपनी महत्वाकांक्षा अपनी इच्छा को पूरा करने को…
पर राजा रतन सिंह ने प्रजा का ख्याल करके मित्रता का हाथ बढ़ाया था….
आया था आज मित्र के रूप में दानव चित्तौड़ के राजमहल में…
रानी पद्मावती की एक झलक को देखकर
अलाउद्दीन की आंखों में धोखे का रंग उतर आया था…..
अलाउद्दीन ने मित्र बन कर दिया था धोखा
चित्तौड़ की पावन माटी को…
राजा रतन सिंह की विश्वास को….
राजा रतन सिंह को बंदी बनाकर
आज अलाउद्दीन ने जंजीरों में कैद कर लिया था
चित्तौड़ की माटी को संदेशा भेज कर
तब अलाउद्दीन ने, रानी पद्मावती को बुलाया था
गोरा बादल के रक्त में, आज क्रोध का उबाल आया था!!
रानी पद्मावती ने अपनी सूझबूझ से, सेनापति के क्रोध को शांत कराकर
अलाउद्दीन को संदेश भिजवाया अकेले ना आने की अपनी शर्त अवगत कराया
अलाउद्दीन ने किया मंजूर रानी की शर्त को,
गोरा बादल ने, डोलियों को तैयार करा कर,
योद्धाओं को युद्ध के लिए बैठाया…
हो गया युद्ध का शंखनाद
वीरवर गोरा बादल ने
अपने प्राणों की आहुति देकर
राजा रतन सिंह को आजाद कराया
अलाउद्दीन ने चित्तौड़ पर कर दिया आक्रमण
अपना अहंकार बचाने को
चित्तौड़ का नाम मिटाने को
राजा रतन सिंह को युद्ध भूमि में,
छल से पराजित किया था……
रानी पद्मावती ने
अपना और चित्तौड़ की माटी का सम्मान बचाने को…
चित्तौड़ की महिलाओं ने अपनी लाज बचाने को
जोहर की पावन अग्नि को…
अपना अस्तित्व सौंप दिया था…
अपना सर्वस्व बलिदान देकर
महारानी पद्मावती ने
आज अलाउद्दीन खिलजी को पराजित किया था
चित्तौड़ की केसरिया माटी ने भी,
महारानी पद्मावती के बलिदान को आज नमन किया था…..
आकाश शर्मा आज़ाद
आगरा उप्र



