यूपी

मनुष्य को इंसान बनाती है कविता : डॉ रंजना जायसवाल

वरिष्ठ कवि हरीश पाल जी के कविता संग्रह 'संकल्प ' का हुआ लोकार्पण

– तमाम साहित्य और साहित्यकारों की बाढ़ आने के बाबजूद चेतना क्यूँ पैदा नहीं कर पा रही है कविता : चितरंजन मिश्र

– अपने पर्यावरण औऱ प्रकृति से जुडाव प्रगतिशील लेखक संघ के तत्वावधान में वरिष्ठ पत्रकार कवि हरीश पाल जी के कविता संग्रह ‘संकल्प ‘ का लोकार्पण जर्नलिस्ट प्रेस क्लब के सभागार में सम्पन्न हुआ l
इस अवसर पर प्रो.अनंत मिश्र की अध्यक्षता में, प्रो. चित्तरंजन मिश्र, प्रो.अनिल राय, प्रो. रघुवंश मणि, डॉ रंजना जयसवाल नें कृति पर अपने विचार रखे l
इस अवसर पर प्रगतिशील लेखक संघ के गोरखपुर अध्यक्ष श्री कलिमुल हक, सचिव श्री वीरेंद्र मिश्र दीपक, श्री धर्मेंद्र त्रिपाठी, जनवादी लेखक संघ के अध्यक्ष श्री जे पी मल्ल, श्री अशोक चौधरी, श्री कामिल खान, श्री रविन्द्र मोहन त्रिपाठी, शायर वसीम मजहर, शाकिर अली शाकिर, कवयित्री नित्या त्रिपाठी औऱ बड़ी संख्या में साहित्यकर्मी, पत्रकार और विद्वत् जन की उपस्थिति थी l
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में शहर के नयी कविता के चुनिंदा कवियों का काव्यपाठ हुआ l

कृति पर चर्चा के साथ साथ रचनाकार ,समय, वर्तमान परिस्थिति औऱ कविता साहित्य पर विद्वान वक्ताओं नें जिस तरह अपनी बात रखी ,लगभग 3 घंटे से अधिक समय तक सभागार मे उपस्थित श्रोता उत्सुकता और कौतुहल और तन्मयता के साथ सुनते रहे l
जहाँ एक तरफ प्रो चितरंजन मिश्र जी ने ये जरूरी सवाल खड़ा किया कि तमाम साहित्य और साहित्यकारों की बाढ़ आने के बाबजूद कविता चेतना क्यूँ पैदा नहीं कर पा रही है l वहीँ प्रो रघुवंश मणि जी नें कृति के साथ रचनाकार के जुड़ाव और दोनों के एकदूसरे के अभिन्न होने की बात को रेखांकित किया ,
प्रो अनिल राय जी ने इस कृति मे कवि को जनपक्षधर बताते हुए इस बात की और ध्यानाकर्षित किया कि सामाजिक राजनैतिक विचारों पर बात करते हुए कवि अपने पर्यावरण औऱ प्रकृति से जुडाव को बनाए रहता है ये विशेषता उसे मानवीय बनाए रखती है l यही एक कवि की सफ़लता है l

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