
#नारी_शक्ति_स्वरूपा
कोमल नहीं कमजोर नहीं ,
श्रृंगार का कोई मोल नहीं
पायल ,चूड़ी ,बिछिया सब
सोलह साजो श्रृंगार हमारे
ऊर्जा के ये है भंडार हमारे
नित प्रति दिन करे साधना
परिवार को एक सूत्र में बांधना
यही रहे है सभी संस्कार हमारे ।।
व्रत ,उपवास पर्व हमको प्यारे ,
सनातन धर्म के स्तंभ है सारे
सुख ,सौभाग्य ,सकारात्मक रहे
करके हम ईश्वर ऊर्जा की प्रार्थना
ये ,तप , संयम,धैर्य के साधन सारे
सिखलाते कठिनाइयों को साधना
धीरे धीरे सब कुछ ही संभालना ।।
स्त्री की शक्ति को कम नहीं आंकना
कलाई ये हमारी भी कमजोर नहीं
हमने सीखा है सबमें,खुद को ढालना
कांच की चुड़ी भी हथियार है हमारी
कु दृष्टि न ,किसी पर व्यर्थ तुम डालना
मांग भरे जब स्त्री सो सब मंगल होई
प्रेम की रक्षा के लिए सीखा सब त्यागना
शक्ति के कई रूप है ,तुम बस पहचानना ।।
©आशी प्रतिभा ( स्वतंत्र लेखिका)
मध्य प्रदेश, ग्वालियर
भारत
स्वरचित मौलिक रचना




