
बन्दे प्यार के रंगों में रंग दे यह दुनिया,
कुछ दिन का तू अपने घर का मुखिया,
तू इस धरा का पल दो पल का नायक।
बन्दे सदा हर पल क्या करता मेरा मेरी,
अंत समय में कुछ साथ नहीं जाए तेरी,
जग में कर ले कुछ कर्म अपने लायक।
हाथ से लिख अपनी कुछ ऐसी कहानी,
उसे सब लोग पढ़े सदा अपनी जुबानी,
बन्दे दिल में जला लें कुछ ऐसी पावक।
तू सारी धरा पर सत् का दीप जला लें,
राहों में सबकी तू सदा फूल खिला लें,
मानुष नहीं बन किसी के लिए शायक।
बन्दे कटु वचन जग में होते तीर समान,
तू सदा सोच समझ कर बोल लें जुबान,
हे! बन्दे जग में बन सबके लिए दायक।
स्वरचित और मौलिक कविता
सर्वाधिकार सुरक्षित
सुनील कुमार “खुराना”
नकुड़ सहारनपुर
उत्तर प्रदेश भारत




