
स्नेह की चंद्रप्रकाश बरसेगी आज,
श्रृंगार की आराध्य पूर्ण होगी आज।
बेकल आँखे सिर्फ दीदार को तरस रहे,
पूर्णिमा का चाँद चकोर के लिए निकलेगी आज।
संपूर्ण चाँदआसमान में देखना है आज,
पूनम की चाँदनी बिखेरती छाई है रात।
महिने भर भेष बदल बदल कर आती है,
सभी प्रेमियो को मोहित कर देगी ये रात।
प्रकृति प्रेम का आनंद लेंगे सब आज,
चाँदनी चकोर के लिए इंतजार करेगी आज।
आज के दिन पूर्ण रूप में चाँद को देखेंगे,
अपने प्रियतम को याद कर आंखों में गुजरेगी रात।
सोलह श्रृंगार कर बैठी चाँद के इंतजार में,
कौमुदी किरण बिखेरेगी आज इंतजार में।
मन मग्न आँगन हर्षित हो नृत्य करेंगे सब,
नील गगन लगे क्षीरसागर सी चाँद के इंतजार में।।
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ममता झा मेधा
डालटेनगंज




