साहित्य

परिवार की चिंता

सुनील कुमार "खुराना"

परिवार सबके जीवन की शान,
परिवार से मिलता सबको मान।

सबकी हिम्मत परिवार ही होता,
बिन परिवार के सब कुछ खोता।

मानुष की परिवार होती हैं शक्ति,
परिवार से मानव को मिलें भक्ति।

परिवार से ही मिलते अच्छे रिश्ते,
अच्छे परिवार के गाते सब क़िस्से।

परिवार से जग में सुख और शांति,
परिवार ही मिटाते सबकी भ्रान्ति।

परिवार की चिंता करते सब जन,
परिवार से होते सबके खुश मन।

परिवार की चिंता करते सुधी जन,
अच्छे मानुष के परिवार होता धन।

कुटुम्ब कबीले की कर लों सेवा,
सेवा से सब जन को मिलें मेवा।
स्वरचित और मौलिक कविता

सुनील कुमार “खुराना”
नकुड़ सहारनपुर
उत्तर प्रदेश भारत

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