साहित्य

परियों की सूरत

अमन रंगेला "अमन" सनातनी

छुपालो चाँद सा चेहरा, झुकालो झील सी आँखे,
तरासी नासिका से तुम, न छोड़ो गम भरी सांसे।
हृदय इतना न धड़काओ, की रुक जाए सभी धड़कन,
न खोलों दात से मोती, न खोलों फूल सी पांखे।

प्रिये तू फूल सी कोमल, तेरी परियों सी खूबसूरती है,
खिली है चाँदनी निर्मल, बड़ा सुंदर महुरत है।
मिलन की शुभ घड़ी में ही, नज़र मेरी लग न जाए,
गले आ कर के लग जाओ, मुझे तेरी जरूरत है।

जो मिठे बोल बोलो तो, सुरों की रागिनी सजती,
कटिले नैन खोलो तो, मृगी मन हारिनी जगती।
चमते दांत मोती से, गगन में ज्यूँ सजे तारे,
चलों जब चाल मस्ती से, लगो गजगामिनी चलती।

ये आँखे झील सी गहरी, जवा चाँद सी सूरत,
अधर है रस भरें कोमल, अजंता सी तू मूरत है।
मयलगिरी सा हृदय तेरा, बिखेरे चाँदनी खुशबू,
तुझें जिसने बनाया है, तू उससे खूबसूरत है।

*अंतर्राष्ट्रीय*
*हास्य कवि व्यंग्यकार*
*अमन रंगेला “अमन” सनातनी*
*सावनेर नागपुर महाराष्ट्र*

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