प्रसिद्ध दार्शनिक डॉ विद्यासागर उपाध्याय नेपाल में याज्ञवल्क्य मेधा सम्मान से सम्मानित

पड़ोसी देश नेपाल के मधेश प्रदेश के धनुषा जिले में जनकपुरधाम नाम से जिला मुख्यालय के रूप में अवस्थित जिस भूमि पर दार्शनिक याज्ञवल्क्य और विदुषी गार्गी के बीच शास्त्रार्थ हुआ, जहां ब्रह्मज्ञानी अष्टावक्र और तत्त्वज्ञानी बंदी के बीच शाखार्थ हुआ, जहां विदुषी मैत्रेयी को ऋषि याज्ञवल्क्य ने ब्रह्म ज्ञान दिया, जिस भूमि पर महान ऋषि वैशम्पायन, महाज्ञानी कहोड़, ब्रह्मवेत्ता ऋषि उद्दालक ने ज्ञान यज्ञ किया, जिस भूमि पर महापंडित शातानंद ने ब्रह्मज्ञानी राजा ऋषि जनक की नंदिनी जानकी का विवाह वैदिक विधि विधान से मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम से संपन्न कराया, जहां बृहदारण्यक उपनिषद्, शपथ ब्राह्मण और अष्टावक्र गीता जैसे महान ग्रंथों की रचना हुई उसी पवित्र भूमि पर हजारों वर्ष बाद आयोजित अंतर्राष्ट्रीय वेदांत विमर्श में कई देशों के वेदान्त मर्मज्ञ उच्च कोटि के विद्वानों और श्रोताओं की उपस्थिति में भारत की ओर से बलिया निवासी ख्यातिलब्ध शिक्षाविद,दार्शनिक और अठारह ग्रंथों के रचनाकार डॉ विद्यासागर उपाध्याय ने अपना विद्वतापूर्ण व्याख्यान दिया और विद्वतजन की जिज्ञासा शांत किया।

उपस्थित अंतर्राष्ट्रीय विद्वानों ने सर्व सम्मति से डॉ विद्यासागर उपाध्याय को ‘याज्ञवल्क्य मेधा शक्ति’ सम्मान प्रदान किया। डॉ विद्यासागर उपाध्याय की इस उपलब्धि पर बलिया के बुद्धिजीवी वर्ग में हर्ष व्याप्त है। डॉ जैनेन्द्र पाण्डेय, डॉ रिंकी पाठक, डॉ जनार्दन राय, डॉ गणेश पाठक, डॉ मदन राम, डॉ हरिकेश यादव, डॉ धर्मेंद्र सिंह, करुणानिधि तिवारी, हरेंद्र नाथ मिश्र, संतोष दीक्षित, रामकृष्ण मौर्य आदि ने बधाई दिया है।




