साक्षात्कार साहित्यकार का: डॉ प्रिया गुप्ता

आपके साहित्यिक जीवन की शुरुआत कैसे हुई?
मेरी शुरुआत तब हुई जब मैं अकेले में अपने विचारों को लिखने लगी। धीरे-धीरे लिखना मेरी आदत बन गई और अब यह मेरे जीवन का हिस्सा है।
लेखन की प्रेरणा आपको कहाँ से मिली?
मुझे प्रेरणा मुंशी प्रेमचंद जी से मिली। उनकी कहानियाँ पढ़कर लगा कि शब्दों से भी समाज को बदला जा सकता है।
पहला लेखन अनुभव कैसा रहा?
बहुत अच्छा लगा। जब अपने विचारों को पहली बार शब्दों में लिखा, तो मन को सुकून मिला। मुझे लगता है कि जब आप संसार से अपनी विचार को नहीं साझा कर सकते हैं तो आपको अपनी कलम व कागज का सहारा लेना चाहिए अगर आप लिखने में निपुण है तो।
किन साहित्यकारों या व्यक्तित्वों से आपने प्रेरणा ली?
मुंशी प्रेमचंद जी से। उनके लेखन ने मुझे सिखाया कि सच्चा साहित्य समाज की बात करता है।
आपके लेखन का मुख्य विषय क्या है?
मैं ज़्यादातर समाज, जीवन और महिलाओं की भावनाओं पर लिखती हूँ।
आप किन सामाजिक मुद्दों को अपने लेखन में शामिल करती हैं?
महिला सशक्तिकरण, आत्मनिर्भरता और समानता जैसे मुद्दे मेरे लेखन के केंद्र में रहते हैं। मैं नारियों को शोषण के खिलाफ आवाज उठाने के लिए कहानी व कविताएं लिखती हूं ताकि समाज में बदलाव आ सके।
वर्तमान समय में साहित्य की भूमिका आप कैसे देखती हैं?
साहित्य आज भी लोगों को सोचने और समझने की दिशा देता है। यह समाज को जोड़ने का काम करता है।
क्या साहित्य समाज को बदल सकता है?
हाँ, बिल्कुल। अच्छे विचार और संवेदनशील शब्द समाज में बदलाव ला सकते हैं। यह न सिर्फ समाज में बदलाव लाते हैं बल्कि देश की आर्थिक व मानसिक स्थिति को बदलने का भी जज्बा रखते हैं।
आपकी भाषा और शैली की खासियत क्या है?
मैं सरल और भावनात्मक भाषा में लिखती हूँ ताकि हर पाठक मेरे शब्दों को महसूस कर सके। उन्हें पढ़ने में आसानी हो एक आम आदमी भी मेरी कहानी व कविताओं को आसानी से पढ़ सके।
आप पारंपरिक भाषा को पसंद करती हैं या आधुनिक?
मैं दोनों का संतुलन रखती हूँ। ज़रूरत के हिसाब से शब्द चुनती हूँ।
क्या आप पाठक को ध्यान में रखकर लिखती हैं?
नहीं, मैं दिल से लिखती हूँ। जो महसूस होता है, वही लिख देती हूँ। मैं ज्यादातर ऐसे विचारों को अपनी कविताओं व कहानियों में फिरौती हूं जो मुझे सच में खुद महसूस हुए हैं। मैं सच्चाई को कलाम के माध्यम से सबके सामने उजागर करने क्या साहस रखती हूं।
आज के समय में साहित्य की सबसे बड़ी चुनौती क्या है?
लोग जल्दी पढ़ना चाहते हैं, लेकिन गहराई में जाने की प्रवृत्ति कम हो गई है।
सोशल मीडिया और इंटरनेट के युग में साहित्य की स्थिति कैसी है?
सोशल मीडिया ने लेखकों को पहचान दी है, लेकिन गंभीर साहित्य को आगे लाने के लिए और मेहनत करनी होगी।
क्या आज के युवा लेखक पहले जैसी संवेदना रखते हैं?
हाँ, बस अभिव्यक्ति का तरीका बदल गया है। अब वे अपने ढंग से समाज को देखते हैं।
पुरस्कारों और सम्मान पर आपका क्या विचार है?
सच्चा सम्मान पाठकों का प्यार है, सम्मान मिलने पर और प्रशंसा मिलने पर खुशी तो महसूस होती है। आगे और अच्छा लिखते रहने का साहस और प्रेरणा मिलती है ।
क्या आज का लेखक पाठक से जुड़ पा रहा है?
हाँ, सोशल मीडिया से लेखक और पाठक के बीच दूरी कम हुई है। परंतु सोशल मीडिया एक ऐसा मंच है जिससे आप पाठकों से जुड़ सकते हैं अपने विचार पोस्ट कर सकते हैं मैं भी ऐसा ही करती हूं मैं बदलते समय के साथ खुद को भी बदला है मैंने देखा कि लोग अब सोशल मीडिया से ज्यादा जुड़ रहे हैं तो मैं भी सोशल मीडिया पर अपने विचार अपनी कविताएं व कहानी पोस्ट करना शुरू किया और कहीं ना कहीं मैं पाठकों से जुड़ भी पाती हूं वह मेरी रचनाओं को पसंद भी करते हैं।
नए लेखकों को कौन-सी मुश्किलें आती हैं?
शुरुआत में पहचान बनाना मुश्किल होता है और प्रकाशन के मौके कम मिलते हैं। परंतु अगर लगातार लिखते रहा जाए तो आपको धीरे-धीरे पहचान मिलती रहती है और आपको प्रसन्नता महसूस होती है।
क्या व्यावसायिकता ने साहित्य को प्रभावित किया है?
कहीं-कहीं हाँ, लेकिन सच्चा लेखक आज भी ईमानदारी से लिख रहा है।
साहित्य की उपयोगिता आपके अनुसार क्या है?
साहित्य लोगों को सोचने और सही दिशा में बढ़ने की प्रेरणा देता है। यह आपको सबसे अवगत कराता है और अच्छी राह पर चलने की प्रेरणा भी देता है।
आपकी लेखन दिनचर्या कैसी है?
मैं रोज थोड़ा-थोड़ा लिखती हूँ। जब विचार आते हैं, तो देर रात तक भी लिखती रहती हूँ। रोजमर्रा की भाग दौड़ से समय तो कब मिलता है परंतु कोशिश करती हूं कि आशावादी रहूं और लिखती रहूं।
आपको किस माहौल में लिखना अच्छा लगता है?
मुझे शांत वातावरण और सुबह का समय बहुत पसंद है।
जब लिखने का मन न हो, तो क्या करती हैं?
मैं किताबें पढ़ती हूँ या प्रकृति के बीच समय बिताती हूँ। इससे नए विचार आते हैं। मुझे चित्रकार बहुत पसंद है पर पेंटिंग में भी रुचि है। खाली समय में मैं खुद से जुड़े रहने के लिए चित्रकारी वह कल का उपयोग करती हूं।
क्या आप अपने अनुभवों को लेखन में शामिल करती हैं?
हाँ, मेरा लेखन मेरे अपने अनुभवों और भावनाओं से ही बनता है। और मुझे यही लगता है कि हर लेखक वास्तविकता से जुड़े तथ्यों से ही संदेश लेता है और लिखते रहने की प्रेरणा भी लेता है।
आपके आने वाले प्रोजेक्ट या पुस्तकें कौन-सी हैं?
मैं अभी महिलाओं की शक्ति और आत्मविश्वास पर आधारित एक पुस्तक पर काम कर रही हूँ।
नई पीढ़ी के लेखकों को आपका संदेश:
दिल से लिखें, सच्चाई से लिखें — शब्दों की ताकत पर भरोसा रखें।
क्या साहित्य आज भी समाज में बदलाव ला सकता है?
हाँ, बिल्कुल। सच्चा साहित्य आज भी लोगों के दिल और सोच को बदल सकता है। सच्चा साहित्य ही एक ऐसी कला है जो आपको सही राह पर चढ़ने की प्रेरणा देता है वह या देश को भी आगे ले जाने का एक कदम है। यह हमारे युवा पीढ़ी व महिलाओं को भी एक नया संदेश देता है कि कैसे आप जीवन में आगे बढ़ो वह शोषण के खिलाफ अपनी आवाज उठा सको।
डॉ प्रिया गुप्ता।
अयोध्या।




