आलेख

संघ के सौ वर्ष

डाॅ.उदय राज मिश्रा

यह कितना हास्यास्पद लगता है कि जो संघ नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे के घोष के साथ केवल और केवल देश की बात करता है,ऐसे समाज की बात करता है जहां -प्रेम हो,विषमता न हो,आपसी सौहार्द्र हो,राष्ट्रभक्ति हो,स्वदेशी का भाव हो,उसे ही देश के कुछ तथाकथित बौद्धिक नकली गांधियों की वकालत करते हुए जाने क्या क्या कहते रहते हैं,अनर्गल प्रलाप करते रहते हैं।फिलहाल इन दोगले बौद्धिक प्रलापियों और इनकी पसंदीदा न जाने कितनी सरकारें आईं और गईं किंतु संघ अविरल प्रवाह की तरह चलता रहा,बहता रहा,बढ़ता रहा और आज वट वृक्ष बनकर अपनी छाया में समूचे राष्ट्र को एकत्व के भाव से, समृद्धि की शक्ति से ओतप्रोत कर अभिसिंचित कर रहा है।
यह सत्य है कि स्वाधीनता संग्राम में जिस जिस ने भी योगदान दिया वह अविस्मरणीय है,प्रात: स्मरणीय है किंतु स्वाधीनता प्राप्ति के पश्चात भारत कैसा हो,यह चिंतन भी मात्र एक परिवार का,एक व्यक्ति का विषय तो नहीं हो सकता था।देश का धर्म के आधार पर विभाजन किनके चलते हुआ,सरदार पटेल और नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी के साथ किसने अन्याय किया,यह आज भी यक्ष प्रश्न है,जिसका उत्तर जिम्मेदारों को,दोगले बौद्धिकों को देना ही पड़ेगा क्योंकि इन तथाकथित बौद्धिकों को देश में नकली गांधियों की सरकार के अलावा कुछ अन्य और कोई और स्वीकार नहीं होता।आखिर क्यों? क्या देश केवल इनका ही है,एक परिवार का ही है।
सियासत क्या नहीं कर सकती,यह आज का विषय नहीं है,बल्कि इस सियासत ने कश्मीर मसले और देश में होने वाले चुनावों में पराजय की डर से तत्कालीन सत्तालोलुपों द्वारा क्या क्या नहीं किया और करवाया।कुछ तथाकथित बौद्धिक कहते हैं कि गांधी जी की हत्या के बाद संघ पर प्रतिबंध क्यों लगा?इसका उत्तर यह है कि स्वाधीनता के पश्चात देश में प्रत्येक संघ और संगठन का अपना संविधान होना अनिवार्य किया गया था और जब पटेल जी ने देखा कि संघ के पास उस समय तक अपना संविधान नहीं है तो उन्होंने तत्कालीन सरसंघचालक को पत्र लिखकर संविधान बनाने का मशविरा दिया तथा बनने तक संघ को बैन किया किंतु संविधान बनते ही बैन हटा लिया।
इन भ्रष्ट बौद्धिकों को यह भी बताना चाहिए कि पंडित श्यामा प्रसाद मुखर्जी की हत्या कैसे हुई,किसने करवाई।ताशकंद में शास्त्री जी की हत्या होने पर जांच आयोग क्यों नहीं बना?राजेश पायलट का हश्र क्या हुआ?पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंह राव की अर्थी को कांग्रेस ऑफिस में रखने की आज्ञा क्यों नहीं दी गई।मुंबई हमलों के समय पाकिस्तान को करता जवाब क्यों नहीं दिया गया? आदि आदि हजारों प्रश्न हैं जिनका उत्तर इन नकली गांधियों को देना ही पड़ेगा।
संघ का मूल भाव सेवा और राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना है। कटुता,द्वेष,विषमता आदि का संघ में लेशमात्र स्थान नहीं है।तभी तो कुत्तों के भौंकने पर हाथी के चलते रहने की तरह ही संघ आज वट वृक्ष बनकर अखंड भारत की ओर अग्रसर है,एक ऐसे भारत की ओर अग्रसर है जहां स्वावलंबन होगा,स्वदेशी होगी, विदेशों पर आश्रितता कम होगी और समग्र राष्ट्र एक इकाई बनकर विश्वपटल पर नेतृत्व करने को उद्यत होगा।

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