साहित्य

शब्दों के तीर

डाॅ सुमन मेहरोत्रा

शब्दों के तीर न चलने दो,
मन की दीवार न गलने दो।
मधुर वचन प्रेम का सेतु बने,
कटुता के रेख न पलने दो।

शब्द अमृत बन बह जाएँ जो,
घाव किसी का न बढ़ पाएँ जो।
वाणी में हो मधुरिमा सदा,
दुख की लहर न जग पाएँ जो।

वाणी वरदान समझ बोलो,
सत्य सदा ही मुख से तोलो।
रूखे स्वरों में विष न घोले,
मौन रखो जब भाव न खो लो।

शब्दों से दीप जलाओ मन,
कर दो हर हृदय पुलकित वन।
प्रेम लता की छाया दे दो,
बने वचन जग में पावन धन।

डाॅ सुमन मेहरोत्रा
मुजफ्फरपुर, बिहार

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!