साहित्य

शरद पूर्णिमा का महत्व बढ़ जाता है

डॉ कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’, ‘विद्यावाचस्पति’

चाँदनी नियंत्रण करती है सभी इंद्रियों पर,
चंद्रमा जादूगर है आत्मा परमात्मा का,
शरद पूर्णिमा आश्विन मास की आज है,
“को-जागरी” पूर्णिमा भी नाम है इसका।

माता लक्ष्मी आज रात को भ्रमण
हेतु यही देखने धरती पर आती हैं,
“को-जाग रहा” है उनकी प्रतीक्षा में,
को-जागरी इसीलिए कहलाती है।

शरद पूर्णिमा की निशि में अमृत
वर्षा का सुंदर संयोग भी होता है,
भारत की हर छत के ऊपर दुग्ध खीर
को अमृत वर्षा का इंतज़ार होता है।

औषधियों के स्वामी चंद्रदेवता हैं
तेजोमय चाँदनी औषधि बरसाती है,
शरद पूर्णिमा को छत पर सारी रात
रखी हुई खीर औषधिमय हो जाती है।

इसीलिये शरद पूर्णिमा की यही खीर
आयुर्वेद में औषधीय खीर कहलाती है,
इसके खाने से वात पित्त और कफ की
सारी शारीरिक बीमारी मिट जाती है।

शरद चंद्र की चंचल किरणें
फैल रही हैं धरती व अम्बर में,
आशीर्वाद अनेकों चंद्रदेवता के,
शरद चाँदनी फैली है सब जग में।

शरद पूर्णिमा का यह पावन दिन
अमृतमय औषधीय निशि लाता है,
आदित्य इस विशेषता के कारण ही
शरद पूर्णिमा का महत्व बढ़ जाता है।

डॉ कर्नल आदि शंकर मिश्र
‘आदित्य’, ‘विद्यावाचस्पति’
लखनऊ:

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