
सूर्य देव को अर्घ्य चढ़ाएँ,
छठ पूजा के पर्व में।
हम हैं सूर्य उपासक जग में,
आनंदित इस गर्व में॥
सूरज छठ का नाम अमर है,
कठिन पर्व यह है सदा।
पान सुपारी सूप नारियल,
फल मेवा हो सर्वदा॥
दिवस चतुर्थी लौकी खायें,
व्रत का शुभ आरंभ हो।
खरना करते पंचम तिथि को,
कभी नहीं अब दंभ हो॥
षष्ठी जायें संध्या तट पर,
अर्घ्य सूर्य को दान दें।
प्रात सप्तमी भी तट जायें,
पूजन वंदन ध्यान दें॥
निर्जल व्रत की महिमा अद्भुत,
छठ पूजा विख्यात है।
सदा सुखी मंगलमय जीवन,
व्रतधारी निष्णात है।
सत्य सनातन संस्कृति अपनी,
भारतवर्ष महान है।
दिव्य दर्शना मंगलकारी,
सर्व सुखी सम्मान है।
✍…*© डॉ॰ अर्जुन गुप्ता ‘गुंजन’*
प्रयागराज, उत्तर प्रदेश



